Sheetla Ashtami 2023: कब है बसौड़ा, जानें शीतला माता को क्यों लगाया जाता है बासी भोजन का भोग!
Sheetla Ashtami 2023: होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन माता शीतला को बासे भोजन का भोग लगाया जाता है. यहां जानें इस दिन से जुड़ी खास बातें.
Sheetla Ashtami 2023: हिंदू धर्म में हर त्योहार का अपना विशेष महत्व है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इसे बसौड़ा के नाम से भी जानते हैं. हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है. इस दिन पूरे विधि-विधान से मां शीतला (Mata Sheetala) की पूजा की जाती है. इस दिन मां को बासी खाने का भोग लगाया जाता है.
शीतला सप्तमी का व्रत
14 मार्च
शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि की शुरूआत- 13 मार्च की रात 9 बजकर 27 मिनट
समाप्ति 14 मार्च- रात 9 बजकर 27 मिनट पर होगी.
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. अगले दिन यानी 15 मार्च के दिन शीतला अष्टमी मनाई जाएगी.
मां शीतला के कलश में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त मां शीतला का व्रत रखते हैं उन्हें सभी रोगों से छुटकारा मिल जाता है. खासतौर से संतान की सेहत के लिए इस व्रत को रखने की मान्यता है. फाल्गुन मास में होली (Holi) के सात दिन बाद शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है. शीतला माता जिस कलश को हाथ में लिए दिखाई पड़ती हैं मान्यतानुसार उस कलश में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास होता है. इस दिन शीतला माता की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन पूजा और व्रत आदि करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
पूजा-विधि
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शीतला अष्टमी का व्रत (Sheetala Saptami Vrat) रखने पर चेचक या खसरा जैसी बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है. माएं अपनी संतान की सेहत और सुरक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं.शीतला सप्तमी के दिन सुबह उठक गुनगुने पानी से स्नान किया जाता है. इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. जो महिलाएं शीतला सप्तमी का व्रत रखती हैं वे शीतला मां के मंदिर में जाकर पूजा करती हैं. इस दिन मां शीतला से अपने बच्चों के स्वस्थ जीवन की कामना की जाती है. फिर इसके बाद कथा सुनी जाती है.
मां शीतला को पसंद हैं ठंडी चीजें
शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसके साथ ही कई रोगों से मुक्ति मिलती है. माता शीतला आरोग्य का वरदान देती हैं. माता शीतला को ठंडी चीजें पसंद होती हैं इसलिए पूजा के समय उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है.
जानें क्यों लगाते हैं बासी खाने का भोग, सर्दी खत्म होने का सूचक
शीतला अष्टमी के दिन शीतला मां को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. अष्टमी तिथि को शीतला माता को प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है. शीतला माता को शीतलता प्रदान करने वाल माता कहा गया है. इसलिए उनको समर्पित अष्टमी तिथि को उन्हें जो कुछ भी समर्पित किया जाता है, वो पूरी तरह शीतल रहे, इसलिए उसे रात में ही बनाकर रख लिया जाता है. माता के भक्त भी प्रसाद स्वरूप ठंडा भोजन ही अष्टमी के दिन ग्रहण करते हैं. इस दिन घरों में चूल्हा जलाना भी वर्जित माना गया है. इस दिन को शीतकाल के आखिरी दिन के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है.
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