विनय सिंह/गोरखपुर: मिस गोरखपुर रही सिमरन सड़क पर चाय बेचकर युवाओं को संघर्ष और चुनौतियों से कभी न हार मानने का संदेश दे रही हैं. सिमरन ने दिव्‍यांग भाई और परिवार की जिम्‍मेदारी संभालने के लिए मॉडलिंग को करियर के रूप में चुना. कड़ी मेहनत के बाद साल 2018 में मिस गोरखपुर बनी, तो सपनों को पंख लगने लगे. इस दौरान उन्‍होंने कई बड़े विज्ञापन भी किए. कोविड महामारी के दौरान काम मिलना बंद हो गया, जिसके बाद बिजली विभाग में कुछ दिन संविदा पर नौकरी की. कई-कई माह तक सैलरी नहीं मिलने से परिवार पर संकट आने लगा, तो सिमरन गुप्‍ता मॉडल चायवाली बनकर सड़क पर उतर गईं.


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दिव्यांग भाई की भी करती हैं देखभाल


गोरखपुर के सूर्यकुण्‍ड की रहने वाली सिमरन गुप्‍ता के पिता राजेन्‍द्र कुमार गुप्‍ता प्राइवेट नौकरी कर परिवार का खर्च चलाते हैं. उनकी मां अलका गुप्‍ता गृहणी हैं. पिता को बचपन से मेहनत करता देखने वाली सिमरन के मन में बड़े सपने पल रहे थे. उन्‍हें छोटे मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्‍यांग भाई की भी चिंता रही है. दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय से कला में स्‍नातक करने के साथ ही 24 वर्षीय सिमरन गुप्‍ता ने साल 2018 में ही मिस गोरखपुर का ताज पा लिया. 


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पैसे की कमी से बेचना पड़ा था मकान


कहते हैं कि जब इंसान कुछ अलग सोचकर आगे बढ़ता है, तो चुनौतियां भी पीछा छोड़ने का नाम नहीं लेती हैं. शहर के ऊंचवा मोहल्‍ले का अपना मकान भी साल 2016 में भाई के इलाज और आर्थिक स्थिति डावाडोल होने से बिक गया. इसके बाद सूर्यकुण्‍ड में पांच हजार रुपये प्रतिमाह किराए के मकान में परिवार शिफ्ट हुआ, तो खर्चे और बढ़ गए. कोरोना संकट के दौरान वे कुछ दिनों तक घर पर बैठी रहीं. इसके बाद फतेहपुर जिले में बिजली विभाग में जैसे-तैसे संविदा पर नौकरी लग गई. उन्‍हें लगा कि जिंदगी की गाड़ी और परिवार की आर्थिक स्थिति एक बार फिर पटरी पर आ जाएगी. लेकिन कई माह तक सौलरी नहीं मिलने की वजह से उन्‍हें जॉब छोड़नी पड़ी. इसके बाद उन्‍होंने बड़ा फैसला लिया. एमबीए चायवाला प्रफुल्‍ल बिलोरे और पटना की ग्रेजुएट चायवाली प्रियंका गुप्‍ता से प्रेरणा लेकर सिमरन ने भी चाय का स्टॉल लगाने का कड़ा फैसला लिया और ‘मॉडल चायवाली’ बनकर सड़क पर उतर गईं.