कानपुर देहात: आजादी के बाद देश आज जहां आधुनिकता के शिखर पर पहुंच गया है, वहीं, राजनैतिक आभाव के कारण सपेरा समाज के आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं. समाज के लोग वन्यजीव को पकड़ कर पेट पालने के लिए बेबस हैं. अपनी दुर्दशा पर अधिकारियों की चौखट पर हजारों बार नाक रगड़ चुके इन लोगों के आश्वासन के आलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. आज भी कुंठा की भावना से जीने को मजबूर हैं सपेरा समाज के लोग...


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1993 से झोपड़ियों का टैक्स भर रहा सपेरा समाज 
हम बात कर रहे हैं कानपुर देहात के रुरा नगर पंचायत के वार्ड नं 2 अंबेडकर नगर की. इस वार्ड में सपेरा समाज के लोग पुश्तैनी निवासी हैं, लेकिन इस समाज के लोगों पर आज भी सौतेला व्यवहार हो रहा है. लगभग 300 आबादी वाला यह समाज अपनी बदहाली को लेकर आंसू बहा रहा है. इस वार्ड में जाने से पहले आपको 300 मीटर दूर अपना वाहन खडा कर पैदल कच्चे रास्ते से गुजर कर बस्ती में पहुंच सकते हैं. सपेरा समाज में जब भी किसी लडकी की बारात आती है तो दूल्हे को पैदल ही आना पडता है, जबकि इस समाज के लोग वर्ष 1993 से झोपड़ियों का हाउस टैक्स नगर पंचायत को अदा कर रहें हैं.


सांप बिच्छू पकड़कर पेल पालने को हैं मजबूर 
सौतेलेपन के ही कारण सपेरा समाज के लोग अपने बच्चों को बचपन से ही सांप बिच्छू को पकडने की कला का हुनर सिखाते हैं, ताकि सावन के महीने और शिवरात्रि को भगवान शिव के इन गणों को पकडकर खुद व परिवार का पेट भर सकें. सपेरा ईरान नाथ बताते हैं कि हमारे समाज के लोगों को आज तक एक भी आवास नहीं मिला. जिले के डीएम सीडीओ अन्य अधिकारियों के दफ्तर में फरियाद की लेकिन आश्वासन के नाम पर छलावा किया गया. साथ ही बताया कि पांच साल पहले अधिकारियों ने जिले के प्रभारी मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा से प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत उसे प्रमाण पत्र तो दिला दिया गया, लेकिन आवास आज भी मुहैया नहीं कराया गया.


सीएम योगी को बताते हैं गुरु भाई
सपेरा समाज के लोग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना गुरु भाई बताते हैं. इनका कहना है कि हम सभी नाथ संप्रदाय से जुड़े हैं. गुरु गोरखनाथ जी को अपना आराध्य देव मानतें हैं. इसके लिए सपेरा बस्ती में इन्हीं लोगों के द्वारा गोरखनाथ जी का मंदिर बनाया गया है. इसमें सभी पूजा अर्चना का कार्य करते हैं. लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही उनको सहारा था कि शायद उनके समाज के लिए कुछ विकास कराकर नयी दिशा देंगे जो अब तक आजादी के बाद से किसी ने नहीं किया होगा. गुजर रहे वक्त से लोगों मे अब लगता है कि अब उनकी कोई सुनने वाला नहीं है.


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