अंशुमान पांडे/सोनभद्र: सोनभद्र के अनपरा थाना क्षेत्र अंतर्गत कृष्णशिला परियोजना के रेलवे साइडिंग बासी में पर्यावरण विभाग, वन विभाग, प्रशासन व पुलिस की संयुक्त टीम के द्वारा छापेमारी की गई. जहां पर 32 बीघा जमीन पर लगभग दस मिलियन टन भंडारित कोयला बरामद हुआ था. जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने बरामद कोयले को सीज करते हुए जांच के आदेश दिए है. वहीं, भारी मात्रा में मिले कोयले का अभी कोई मालिक नहीं मिला है, जबकि एनसीएल के रेलवे साइडिंग पर ये कोयला मिला है.


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जिलाधिकारी द्वारा लावारिस हालत में मिले इस भंडारित कोयले की अनुमानित लागत 600 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इसका मालिक कौन है अब तक की जांच में नहीं पता चल सका है. ऐसे में इस कोयले का कोई मालिक न मिलने पर इसकी निलंबन की प्रक्रिया के तहत नीलामी करके कोयले को बेचने की बात कही है. पहले भी कोयले के काले धंधे का पता लगाने के लिए CBI द्वारा छापा मारा जा चुका है. अधिकारियों व कोल माफिया की मिलीभगत से भारी मात्रा में कोयले का काला कारोबार बदस्तूर जारी है.


कोयले को सीज कर की जा रही आगे की कार्रवाई 
सोनभद्र के अनपरा बांसी में कृष्णशिला रेलवे साइडिंग के पास लगभग एक मिलियन टन कोयला भंडारित किया गया था. इस कोयले में आग लगने से लगातार धुआं उठने और इस क्षेत्र के क्रिटिकल पॉल्यूटेड जोन होने के बाद जिलाधिकारी व संयुक्त टीम द्वारा आज छापेमारी की गई. इसके बाद लावारिस पड़े कोयले को जब्त कर लिया गया.


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वहीं, राजस्व विभाग ने बताया गया कि यह क्षेत्रफल लगभग 32 बीघा है और यह एनसीएल के नाम से जमीन दर्ज है. हालांकि, एनसीएल के 2 परियोजनाओं के मुख्य प्रबन्धक का कहना है कि यह जमीन उनकी नहीं है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए कोयले को सीज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है.


जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने दी जानकारी
वहीं, जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने बताया कि अब तक भारी मात्रा में मिले कोयले का कोई मालिक सामने नही आया है. ऐसे में हमने एक हफ्ते का समय दिया है. अगर एक हफ्ते में कोई मालिक आ जाता है तो उसके जरूरी कागजात देखकर कोयला उसके सुपुर्द कर दिया जाएगा. अन्यथा कोयले की नीलामी कर उसको सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी करने का काम होगा. 


चारकोल मिलाने के लिए कोयले का यह खेल पहले भी होता रहा 
अब भी इतनी बड़ी मात्रा में इकट्ठा कोयले को देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यहां पर चारकोल मिलाकर कोयले को प्रोडक्शन कंपनियों में भेजने का काम किया जाता रहा है. एक तरफ एनसीएल और पावर प्लांट्ट द्वारा पर्याप्त कोयला के भंडारण का दावा किया जाता रहा है. वहीं, दूसरी तरफ बिजली प्रोडक्शन में लगातार कमी होती रही.


जानकारों की माने तो चारकोल युक्त कोयला की सप्लाई होने के वजह से कोयले की मात्रा तो पर्याप्त दिखाई दे रही थी, लेकिन गुणवत्ता सही नहीं होने के वजह से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा था. इतना ही नहीं इस भंडारित कोयले से जिले के सभी बिजली प्रोडक्शन यूनिट में लगभग 30 दिनों तक बिजली प्रोडक्शन किया जा सकता है.


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बड़े स्तर के लोगों के शामिल होने की जताई जा रही आशंका
वहीं, बड़ा सवाल उठता है बगैर एनसीएल के जानकारी और रेलवे के जानकारी इतनी भारी मात्रा में कोयला इकट्ठा कैसे हुआ. सोनभद्र का इतिहास रहा है कि कोल माफिया एनसीएल रेलवे और जिला प्रशासन की मिलीभगत से पहले भी बड़े घोटाले हुए हैं. सीबीआई ने इसकी छापेमारी की गई थी. सवाल यह भी खड़ा होता है जब कोयले की नीलामी व उसके उठान के लिए केंद्र सरकार द्वारा नीलामी प्रक्रिया की जाती है तो ऐसे में भारी मात्रा में अवैध रूप से एनसीएल की जमीन पर कोयले की खेप कहा से आई.


सूत्रों की माने तो अब तक इतने बड़े पैमाने पर कोयला इकठ्ठा करना एक दो, लोग या एक दो, विभाग का खेल ही नहीं हो सकता. इस खेल में बड़े स्तर के लोग शामिल हैं.  वहीं, साल भर से ज्यादा वक्त लगेगा इतने बड़े पैमाने पर कोयला इकठ्ठा करने के लिए.


लगातार मिल रही थी कोयले से जुड़ी कई समस्याएं 
सोनभद्र में कोयला चोरी, कोयले में चारकोल मिलाने और बगैर लाइसेंस के कोयला भंडारण करने, कोयले में आग लगने की वजह से लगातार धुआं उठने जैसी समस्याएं प्रशासन को मिल रही थी. वहीं, आज प्रदूषण विभाग प्रशासन पुलिस व वन विभाग की टीम के द्वारा छापेमारी की गई छापेमारी में कुल 32 बीघा क्षेत्र लगभग 1 मिलियन टन कोयला भंडारित मिला. जिसमें जगह-जगह आग लगी थी और हाईली पॉल्यूटेड जोन होने के वजह से इन शिकायतों को देखते हुए टीम मौके पर पहुंचकर मामले से संबंधित जांच की. 


क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी सोनभद्र ने दी जानकारी
मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी टीएन सिंह ने कहा कि यदि इस कोयले का परिवहन मालगाड़ी से होना है तो ट्रकों से परिवहन क्यों हो रहा है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए कोयले को सीज कर अनपरा थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया है और 1 सप्ताह का समय दिया गया है. जिसमें भू-स्वामी, कोयला भंडारण करने वाले व्यक्ति, भंडारण करने के प्रयोजन व लाइसेंस समेत सभी कागजातों के साथ प्रदूषण विभाग पहुंचकर कोयला मुक्त करने का समय दिया है. अन्यथा 1 सप्ताह बाद कोयले को जप्त कर विधिपूर्वक निस्तारित करने की कार्रवाई की जाएगी.


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