UP Election 2022: लखनऊ. समाजवादी पार्टी के गठन के साथ ही मुलायम सिंह यादव ने जिस एम-वाई समीकरण को जीत की गांरटी बनाया, उसकी परिभाषा भले ही उनके बेटे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का मुखिया बनने के बाद बदल दी हो, पर इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए अखिलेश अपने पिता के बनाए इसी एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण की ओर लौटते दिख रहे हैं. इसकी पुष्टि सपा की ओर कल जारी 159 प्रत्याशियों की सूची से भी मिलती है.  एमवाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर पर भरोसा जताते हुए सपा ने इस सूची में सबसे ज्यादा 31 मुस्लिमों को तो 18 यादव चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है। 


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इन मुसलमानों पर दांव
जिन प्रमुख मुस्लिम उम्मीदवारों पर सपा ने दांव खेला है, उनमें जेल में बंद सांसद मो. आजम खां रामपुर से और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां स्वार से उम्मीदवार के तौर पर शामिल हैं.  इनके अलावा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहममान को कुंदरकी से, किठौर से पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर और मेरठ के विधायक रफीक अंसारी को दोबारा मेरठ से ही मैदान में उतरेंगे. बीती 15 जनवरी को गिरफ्तार हुए नाहिद हसन का नामांकन जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मंजूर किए जाने के बाद उनका भी नाम कैराना उम्मीदवार के रूप में सूची में शामिल कर लिया गया है. हालांकि सपा ने कुंदरकी से हाजी रिजवान, मुरादाबाद से हाजी इकराम कुरैशी जैसे मुसलमानों के टिकट भी काटे हैं. इनमें से हाजी रिजवान ने तो सपा से इस्तीफा ही दे दिया है.
 
159 में किस जाति के कितने टिकट
मुस्लिम-31
यादव -18
ब्राह्मण- 8
कुर्मी-7
जाट-7
वैश्य-6
ठाकुर- 5
निषाद- 4
गुर्जर-4
सिख-2


यह बदली थी परिभाषा 
मुलायम के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया बने अखिलेश यादव ने तो अपने पिता के इस के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण की परिभाषा ही बदल दी थी. अखिलेश यादव ने एक बार कहा था कि नई सपा में एम-वाई समीकरण में एम का मतलब महिला और वाई का मतलब युवा है. इधर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी  भी सूबे में सपा के इस मुस्लिम-यादव समीकरण को तोड़कर अपना राजनीतिक आधार तैयार करने में लगे हैं.
 
मुलायम थे समीकरण के जनक
मुलायम सिंह यादव ने जब समाजवादी पार्टी का गठन किया तो  अपना सियासी आधार मजबूत बनाने यह एम-वाई समीकरण बनाया था. उनकी नजर यूपी के 20 फीसदी मुस्लिम और 12 फीसदी यादव मतदाता पर थी. इन्हें मुलायम सिंह सपा का परमानेंट वोट बैंक बनाना चाहते थे. इसी एम-वाई समीकरण के दम पर मुलायम सीएम बने थे.  जब नरेंद्र मोदी का युग शुरू हुआ तो सपा के हार्डकोर वोटबैंक वाले ये समीकरण ध्वस्त हो गए थे. अब अखिलेश यादव जीत के लिए एक बार फिर एम-वाई समीकरण पर लौट रहे हैं.


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