Ghaziabad : पावर ऑफ एटॉर्नी के गलत इस्तेमाल से संपत्ति के अवैध ट्रांसफर का खुलासा, 4 सब रजिस्टार निपटे
पावर ऑफ अटॉर्नी में धांधली कर संपत्ति के अवैध ट्रांसफर के एक बड़े गिरोह पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है. एसआईटी जांज में गाजियाबाद और नोएडा समेत दूसरे राज्यों तक इसके तार जुड़ते नजर आ रहे हैं.
गाजियाबाद: शासन ने गाजियाबाद सदर तहसील के चार सब रजिस्ट्रार सस्पेंड कर दिए हैं. माना जा रहा है कि कुछ और अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है. जिले पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन को लेकर एसआईटी जांच चल रही है. इसी कड़ी में यह पहली बड़ी कार्रवाई की गई है. निलंबित किए गए सब सब रजिस्ट्रार में रविंद्र मेहता, अवनीश राय, सुरेश चंद्र मौर्य और नवीन राय शामिल हैं. रविंद्र मेहता सदर तहसील में करीब पांच साल से तैनात थे. इससे पहले सब रजिस्ट्रार हनुमत प्रसाद और एआईजी स्टांप केके मिश्रा को अटैच किया जा चुका है.
पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन पर रोक
4 जनवरी 2023 को प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन वीना कुमारी ने गाजियाबाद और नोएडा में पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया था. शासन को आशंका थी कि इन दोनों जिलों में कई राज्यों की पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन के जरिये संपत्ति के अवैध ट्रांसफर का संगठित अपराध किया जा रहा है. इसमें किसी गिरोह के भी शामिल होने की आशंका जाहिर की गई थी. उप निबंधकों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे. इस पूरे प्रकरण की SIT से जांच कराई जा रही थी. पंजीयन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक गाजियाबाद और नोएडा में पिछले कुछ महीनों में पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन की बाढ़ सी आई. तीन महीने में 25 हजार से ज्यादा लोगों ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी करााई. बताया जा रहा है कि इसमें बड़ी संख्या में गैर राज्यों के लोग भी शामिल थे. शासन को जैसे ही इस बात की भनक लगी एसआईटी से जांच कराने का आदेश दिया गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई में कर चुकी है कि पॉवर ऑफ अटॉर्नी से किसी अचल संपत्ति का स्वामित्व नहीं बनता है. इसका इस्तेमाल हस्तांतरण विलेख के रूप में नहीं किया जा सकता.
डूब क्षेत्र को लेकर नियम
दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा में हिंडन और यमुना नदी का हजारों एकड़ डूब क्षेत्र (खादर) है. इस क्षेत्र में दोनों जनपदों के जिला प्रशासन ने संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई हुई है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT) ने भी डूब क्षेत्र में किसी तरह के निर्माण पर रोक लगाई है. कुछ लोगों ने इसका तोड़ पॉवर ऑफ अटॉर्नी के रूप में निकाल लिया है. आरोप है कि वह नए तरीके से मालिकाना हक दूसरे को ट्रांसफर कर रहे हैं. इस वजह से एकाएक गाजियाबाद-नोएडा में पॉवर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ी है.
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