नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: आपने अक्सर देखा होगा की कोर्ट कचहरी में जज के सामने अपराधियों की पेशी होती है और उनके गुनाह और बेगुनाह होने के लिए बहस चलती है. अधिवक्ता नियम कानून से लड़कर कोर्ट-कचहरी में लोगों को इंसाफ दिलाते हैं., लेकिन क्या आपने सुना है कि कोर्ट-कचहरी में बंदरों की भी अदालत लगती है. जी हां बाराबंकी जिले की एक तहसील में बंदरों के आतंक से जज से लेकर वकील तक परेशान हैं. 


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यह है मामला 
बाराबंकी जिले की हैदरगढ़ तहसील में इन दिनों बंदरों ने आतंक मचाया हुआ है. इस तहसील में एसडीएम कोर्ट लगती है, लेकिन आलम यह है कि यहां बंदर कभी फाइल लेकर भाग जाते हैं, तो कभी मुहर लेकर भाग जाते हैं. कचहरी में मौजूद अधिवक्ताओं ने बताया कि यहां भारी तादात में जंगली बंदर हैं. इन्होने यहां इस कदर हुडदंग मचाया हुआ है कि कभी वो फाइल लेकर भाग जाते हैं, तो कभी स्टांप के साथ जरूरी कागजात लेकर फुर्र हो जाते हैं. 


जानलेवा हमला 
बंदरों के आतंक से यहां आने वाले लोगों को भी डर है. यहां भारी तादात में मौजूद बंदर लोगों पर जानलेवा हमला कर उन्हें घायल कर देते हैं. 
हैदरगढ़ तहसील परिसर में 15 लाख रुपये की सांसद निधि से बनने वाले अधिवक्ताओं के भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे भाजपा सांसद उपेंद्र सिंह रावत के भी बंदरों का आतंक देख होश उड़ गए. बंदरों के आतंक से निजात पाने के लिए आलाधिकारी और अधिवक्तावों ने सांसद से फरियाद लगे है. 


तहसील हैदरगढ़ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यशकरन तिवारी ने बंदरों की वजह से अधिवक्ताओं को हो रही परेशानियों के बारे में सांसद उपेंद्र सिंह रावत को बताया, जिसपर सांसद ने अधिवक्ताओं से कहा कि जल्द ही इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि बंदरों की समस्या मेरी जानकारी में आई है. दूसरी समस्या यहां शौचालय की भी है. मैंने यहां की दोनों समस्याओं को लेकर अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि जल्द ही इससे संबंधित प्रस्ताव बनाकर भेजें, जिससे दोनों कामों को जल्द से जल्द पूरा कराया जा सके.


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