पति-पत्नी के साथ बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के झगड़े भी सुलझाती है नोएडा पुलिस की ये क्लीनिक
घरेलू हिंसा रोकने को लेकर गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एक पहल आपका दिल जीत लेगी. यहां पति-पत्नी के बीच `वो` का झगड़ा हो या फिर लिव इन रिलेशनशिप में भरोसे की कमी की वजह से पैदा होने वाले तनाव, पुलिस द्वारा दो साल से चलाई जा रही इस क्लीनिक में पहुंचते ही पति-पत्नी हों या बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड मुस्कुराते हुए वापस लौटते हैं.
शिव त्यागी/गौतमबुद्ध नगर: पति-पत्नी के बीच कई बार वो को लेकर गलतफहमियां हो जाती हैं. लिव इन रिलेशनसिप में रहने वाले जोड़े भी अक्सर थानों और कोर्ट के चक्कर काटते नजर आते हैं. पुरुष और महिलाओं के बीच रिश्तों में आई ऐसी दरारों को खत्म करने की एक सराहनीय मुहिम गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने शुरू की है. इसे फैमिली डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन क्लीनिक नाम दिया गया है. 15 जुलाई को नोएडा पुलिस कमिश्नर ऑफिस में इसके दूसरे स्थापना दिवस का आयोजन किया गया. जिसमें नोएडा के कमिश्नर आलोक सिंह के साथ बड़ी संख्या में समाजसेवी मौजूद रहे.
काउसिलिंग के जरिए रिश्तों में मिठास
इस सेंटर पर पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंसा, लिव इन रिलेशनशिप के विवाद को मध्यस्ता के जरिये सुलझाया जाता है. पुलिस थानों से ऐसे मामले फैमिली डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन क्लीनिक में भेजे जाते हैं. काउसिलिंग करने वाले पैनल में मनोविज्ञान विशेषज्ञ, कानून के जानकार शामिल होते हैं. पुलिस आयुक्त आलोक सिंह का कहना है कि परिवार समाज का सबसे बड़ा हिस्सा है. अच्छे समाज के लिए स्वस्थ परिवार की बड़ी जरूरत भी है. छोटी-छोटी गलतफहमियां परिवारों को बिखेर देती हैं. पति-पत्नी के बीच कम्यूनिकेशन गैप पैदा हो जाता है. हमारा "फैमिली डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन क्लीनिक" रिश्तों को कायम कर रहा है.
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गौतमबुद्ध नगर की एडीसीपी महिला सेल अंकिता शर्मा के मुताबिक यह क्लीनिक पहली बार जुलाई 2020 में नॉलेज पार्क थाने में शुरू किया गया था. इसका मकसद महिलाओं के खिलाफ होने वाले घरेलू झगड़ों का समाधान करना है. इससे लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से वैवाहिक जोड़ों को न गुजरना पड़े. दो साल में 601 केस आये थे , 533 मामलों में समझौता हुआ. 70 मामलों में ही अपराध दर्ज करने की जरुरत पड़ी.
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दरअसल पिछले कुछ सालों में महिलाओं के खिलाफ जहां अपराधिक मामले बढ़े हैं वहीं पुलिस के पास झूठे और मनगढ़त मामले भी खूब पहुंचते हैं. खास तौर पर दहेज प्रताड़ना से जुड़े मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार सख्त टिप्पणी की है. कई बार देखा जाता है कि जरा से मनमुटाव की वजह से लोग अपना वैवाहिक जीवन नष्ट कर लेते हैं.
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