पूर्वांचल को पहली जंगल सफारी की सौगात, सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में पर्यटक लेंगे ईको टूरिज्म का मजा
15 नवंबर से देश और प्रदेश के लोग महाराजगंज स्थित सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में टाइगर सफारी का आनंद ले सकेंगे. यह सेंचुरी वाइल्ड लाइफ के साथ ही बौद्ध धर्म से जुड़े पर्यटकों को आकर्षित करेगी.
अमित त्रिपाठी/महराजगंज: प्रदेश ने इको टूरिज्म के क्षेत्र में एक नई उपबल्धि हासिल की है. महाराजगंज जनपद में मंगलवार से सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी शुरू हो जाएगी. जंगल सफारी को लेकर वन राज्यमंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने जंगल सफारी से संबंधित वेबसाइट का उद्घाटन किया है. इस दौरान वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का लोगो और सेंचुरी से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया है.
पर्यटन का होगा विकास
इस मौके पर सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और जंगल के बीच स्थित बौद्ध स्थलों से जुड़ी चित्र प्रदर्शनी लगाई गई थी. वन राज्यमंत्री ने चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन कर अधिकारियों से क्षेत्र के विकास के संबंध में जानकारी लेकर उन्हें विभिन्न दिशा निर्देश दिए. वन राज्य मंत्री ने कहा कि महराजगंज जनपद में बहुत तेजी से ईकोटूरिज्म की शुरुआत की जा रही है. इससे इस क्षेत्र में बहुत तेजी से टूरिज्म का विकास हो सके. टूरिज्म के विकास से यहां पर रोजगार भी बढ़ेगा. साथ ही जंगल सफारी के माध्यम से लोगों को जानवरों और पक्षियों के बारे में अच्छी जानकारी मिलेगी.
वाइल्ड लाइफ का आनंद लेंगे लोग
सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग वाइल्ड लाइफ के मामले में देश के समृद्ध जंगलों में एक है. यहां की वन संपदा के साथ-साथ यहां के नैसर्गिक नजारे व वन्य जीवों को देखने के लिए जंगल सफारी शुरू की गई है. इसमें गौतम बुद्ध से संबंधित रामग्राम और देवदह को भी जंगल सफारी में जगह दी गई है. सोहगीबरवा जंगल सफारी भारत-नेपाल सीमा पर स्थित होने से कई बार नेपाल से भी जंगली जानवर यहां दाखिल होते हैं. खास कर भारत-नेपाल सीमा से सटे नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से गैंडे और अन्य जंगली जानवर बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. यह सेंचुरी नेपाल के राष्ट्रीय चितवन पार्क और बिहार के बाल्मिकनगर टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है.
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सोहगीबरवा सेंचुरी के जंगल सफारी में बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. सर्किट में भगवान बुद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल है. रामग्राम का आठवां स्तूप इसके घने जंगलों में स्थित है. इतिहासकारों के मुताबिक कोलिय राज्य की राजधानी रामग्राम थी. भगवान बुद्ध का ननिहाल देवदह में था. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध का निर्वाण हुआ तो उनकी अस्थियां लेने कोलिय भी कुशीनगर आए थे.