वाराणसी : भगवान राम के आराध्य शिव की नगरी काशी (Kashi) से अयोध्या (Ayodhya) का नाता और भी गहरा हो जाएगा. राम की नगरी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाया जाएगा. 18 जनवरी से प्रतिष्ठा समारोह के अनुष्ठान की शुरुआत हो जाएगाी. पूरे विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा होगी. इसका आरंभ गणेश, अंबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन से होगा. काशी के वैदिक पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में वैदिक ब्राह्मणों की टोली 17 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना होगी. मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे और उनके पुत्र जयकृष्ण दीक्षित और सुनील दीक्षित पूजन कराएंगे. 17 जनवरी को ही रामलला की प्रतिमा अयोध्या में नगर भ्रमण पर निकलेगी.


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बताया जा रहा है कि राम मंदिर के गर्भगृह को सरयू से लाए गए 81 कलशों के जल से धोने के बाद वास्तु शांति और अन्नाधिवास कर्मकांड होंगे. रामलला का अन्नाधिवास, जलाधिवास और घृताधिवास होगा. 21 जनवरी को 125 कलशों से मूर्ति के दिव्य स्नान के बाद शय्याधिवास होगा. 22 जनवरी को सुबह नित्य पूजन के बाद मध्याह्न काल में प्राण प्रतिष्ठा की महापूजा होगी. षोडशोपचार पूजन के बाद मूर्तियों पर अक्षत छिड़का जाता है. पहली महाआरती के बाद रामलला आम भक्तों को दर्शन देंगे.
15 जनवरी से शुरू होगी प्राण प्रतिष्ठा
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास, विद्वत परिषद समेत काशी के संतों को आमंत्रण
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से समारोह के लिए आमंत्रण भेजने का कार्य शुरू हो गया है. काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास, काशी विद्वत परिषद समेत काशी के संतों को न्योता भेजा गया है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए 15 जनवरी से काशी से रवानगी शुरू हो जाएगी.


चारों वेद के विद्वानों की उपस्थिति
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए काशी के वैदिक विद्वानों की टोली में चारों वेद के ज्ञानी रहेंगे.  मुख्य अनुष्ठान का संपूर्ण कर्मकांड काशी के 21 वैदिक ब्राह्मण पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में ही पूर्ण कराएंगे.


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