मयूर शुक्ला/लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा के बीच रार को साबित करने के लिए एक और बड़ी हलचल देखने को मिली है. बताया जा रहा है कि गोरखपुर के हरिशंकर तिवारी का परिवार (हरिशंकर तिवारी के साथ दोनों बेटे विनय और कुशल तिवारी) समाजवादी पार्टी का दामन थामने जा रहा है. हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी बहुजन समाज पार्टी से विधायक थे, लेकिन उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और अब वह अखिलेश यादव के साथ दिखाई देंगे. यानी चुनाव से पहले सपा पहले से ही ब्राह्मण वोटबैंक पर फोकस करने की कोशिश कर रही थी और अब पार्टी को तिवारी परिवार के रूप में बड़े ब्राह्मण चेहरे मिलने जा रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इससे पूर्वांचल की सियासत पर बड़ा असर पड़ने वाला है.


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बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप
विनय तिवारी ने यूपी की भाजपा सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि यह सरकार ब्राह्मण विरोधी है और उनके परिवार पर विद्वेषपूर्ण तरीके से कार्रवाई की गई. हालांकि, उन्होंने कहा कि सपा के द्वारा प्रदेश में परशुराम मूर्ति लगाने से ही सिर्फ ब्राह्मणों का कल्याण नहीं होगा. उन पर विशेष ध्यान देना होगा, जोकि मौजूदा सरकार नहीं कर रही है.


अनुशासनहीनता के चलते बसपा से हटाया गया
बसपा से निष्कासित करने की वजह क्या रही? इस सवाल के जवाब में विनय तिवारी ने बताया कि उन्हें पार्टी से निकालने का कोई मतलब नहीं बनता था. पार्टी ने उन्हें बताया अनुशासनहीनता के चलते उन्हें हटाया गया है, लेकिन यह नहीं बताया कि नाराजगी क्या थी, उन्होंने गलत क्या किया. 


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भाजपा पर आरोप, ब्राह्मणों के खिलाफ किया काम
विनय तिवारी के घर में रेड वाली बात पर उन्होंने बताया कि सरकार बनते ही उनके घर पर रेड डाली गई थी, जबकि वहां कुछ मिला नहीं था. विनय तिवारी का कहना है कि एक तरह से उनके परिवार पर उत्पीड़न किया गया था. आज पूरे प्रदेश में ब्राह्मणों के उत्पीड़न की ही कहानी चल रही है. चाहे खुशी दुबे का मामला हो, अंकुर शुक्ला, विवेक तिवारी का या गोरखपुर में राजीव मिश्र का मामला है. ब्राह्मणों के खिलाफ ही सरकार ने काम किया गया है. उनका कहना है कि सपा में ब्राह्मणों का उत्थान होगा. 


क्या सपा में दिख रहा है कोई फायदा?
सपा में शामिल होने की वजह केवल ब्राह्मण फैक्टर है या फिर और भी कोई फायदा देख रहे हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका कारण राजनीतिक विद्वेष था. क्योंकि सरकार ने भी विद्वेष की भावना से उनके परिवार वालों के खिलाफ कार्रवाई की थी.


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ब्राह्मणों को जुटाने के लिए पार्टी को क्या करना चाहिए?
समाजवादी में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर तिवारी परिवार की एंट्री होने जा रही है. वहीं, चुनाव से पहले हर दल ब्राह्मणों को रिझाने की कवायद में जुटे हैं. भगवान परशुराम की भी 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने की भी बात सपा कर रही है. क्या विनय के सपा में शामिल होने से प्रदेश का ब्राह्मण सपा के पास आएगा? इस सवाल के जवाब पर जुटेगा क्या? इस सवाल के जवाब पर विनय ने कहा कि किसी के जाने से या मूर्ति लगाने से ब्राह्मण का कल्याण नहीं होता. जब तक उनके हित की बात नहीं होगी, नौकरी और शिक्षा की बात नहीं होगी तब तक ब्राह्मण क्यों जुटेगा? केवल कह भर देने से यह काम नहीं होता. जैसे वर्तमान सरकार केवल दावे कर रही है, लेकिन विकास से कोसों दूर है. महंगाई बढ़ रही है, कानून व्यवस्था खराब हो रही है. लेकिन, अखिलेश यादव इन सभी चीजों को बेहतर करने के लिए अमादा हैं.
 
अखिलेश यादव बनाएंगे बेहतर सरकार: विनय तिवारी
विनय तिवारी का कहना है कि 2012-2017 की सरकार में लखनऊ में और पूरे प्रदेश में विकास किया. वे बाहर से पढ़कर आए हैं, उनके पास विकास के नए कंसेप्ट हैं, प्रदेश में विकास के लिए नया विजन है. अखिलेश यादव प्रदेश को बेहतर भविष्य देने की हिम्मत रखते हैं.


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