UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी ने पहले और दूसरे चरण के उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इस बीच बड़ी खबर यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं. सीएम योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने के कयासों के बीच यह एक चौंका देने वाली खबर बनकर सामने आई है. वैसे दो दिन पहले जब योगी आदित्‍यनाथ के अयोध्‍या से लड़ने की अटकलें लगी रही थीं, तब गोरखपुर में सियासी चर्चाएं तेज हो गई थीं. 

 

कुछ समय पहले तक बीजेपी और हिन्‍दूवादी संगठनों से जुड़े लोग पूछा करते थे कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव क्‍यों नहीं लड़ रहे हैं? गोरखपुर के मेयर ने भी यह मुद्दा उठाया था और भाजपा नेतृत्‍व से अपील की थी कि सीएम को गोरखपुर की 9 में से किसी सीट का भी प्रत्याशी बना दें.


 

इस वजह से गोरखपुर के प्रत्याशी बने सीएम योगी

पूर्वांचल की सियासी जमीन काफी उठापटक वाली रही है. बीजेपी ने पिछले चुनाव में यहां अच्छा प्रदर्शन किया था. इस बार तमाम सर्वे में यह बात निकलकर सामने आ रही थी कि भाजपा पूर्वांचल में आगे तो रहेगी लेकिन सपा कांटे की टक्कर देगी. इसकी वजह से भाजपा ने पूर्वांचल को साधने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से अपना प्रत्याशी बनाया है. 

 

यूपी के प्रचार अभियान को आराम से लीड कर सकेंगे योगी

एक दूसरा कारण यह है कि गोरखपुर शहर सीट के मतदाताओं का गुरु गोरक्षनाथ पीठ के प्रतिनिधियों की ओर झुकाव है. वहीं, जानकारी के मुताबिक, राजनीतिक विशेषज्ञों का हमेशा से कहना था कि अगर सीएम योगी गोरखपुर से खड़े होते हैं तो फायदा पूर्वांचल में तो मिलेगा ही, साथ ही पूरे यूपी में बीजेपी को लाभ होगा. क्योंकि यह ऐसी सीट है जहां योगी आदित्यनाथ को प्रचार की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और वह आराम से यूपी में भाजपा के प्रचार अभियान को लीड कर सकेंगे. गौरतलब है कि गोरखपुर में बीजेपी के अलावा हिन्‍दू युवा वाहिनी का मजबूत संगठन है. गोरखपुर की शहर सीट पर पिछले 33 साल से बीजेपी का ही कब्जा रहा है. 


 

सीएम योगी की पावर का अंदाजा

गोरखपुर में योगी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2002 में यहां से भाजपा के सीनियर नेता शिव प्रताप शुक्ला चुनावी मैदान में उतरे थे. योगी आदित्यनाथ ने तब भारतीय हिंदू महासभा के उम्मीदवार के तौर पर राधामोहन दास अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतार दिया था. आरएमडी चुनाव जीते और शिव प्रताप शुक्ला तीसरे स्थान पर रहे थे.

 

बता दें, सीएम योगी गोरखपुर सदर सीट से ही 1998 से लेकर 2017 तक सांसद रहे. साल 1998 में योगी आदित्यनाथ ने पहली बार लोकसभी चुनाव लड़ा और बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की. लेकिन, समय के साथ उनकी जीत का अंतर बढ़ता गया और जनता का प्यार उनके प्रति दिखने लगा. इसके बाद, साल 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी जनता ने उन्हें ही सांसद चुना. इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम योगी को गोरखपुर सदर संसदीय सीट छोड़नी पड़ी और वह विधानपरिषद सदस्य बने. अब आगामी विधानसभा चुनाव में योगी विधायक उम्मीदवार बनकर यहीं से खड़े हो रहे हैं.

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