UP Assembly: बीजेपी विधायक को पीटने वाले पुलिसकर्मियों को होगी जेल, यूपी विधानसभा में पारित हुआ प्रस्ताव
UP Budget Session 2023: शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 6 पुलिस वालों को कारावास की सजा सुनाई गई है. मामला 19 साल पहले एक विधायक के साथ की गई मारपीट का है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
UP Budget Session 2023: विधानसभा की अवमानना के एक मामले में गुरुवार को सीओ सहित छह पुलिस वालों को विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया गया है. भाजपा विधायक सलिल विश्नोई को पीटने वाले कानपुर के तत्कालीन सीओ अब्दुल समेत छह पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन का दोषी करार दिया गया. विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने उन्हें सजा दिए जाने की सिफारिश की है. विधानसभा में शुक्रवार को अदालत लगी. इसमें दोषी पुलिसकर्मियों को कारावास की एक दिन की सजा मुकर्रर की गई. विशेषाधिकार हनन मामले में यह कार्रवाई हुई है. विधानसभा परिसर के अंदर जेल बनी है जिसमें आज रात 12 बजे तक सभी पुलिसकर्मियों को रखा जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महना ने सजा सुनाई. सुनवाई के दौरान सूर्यप्रताप शाही ने सजा कम करने की गुजारिश की. उन्होंने कहा कि कुछ घंटे बैठाया जाए. लेकिन सदन में बैठे सभी विधायकों ने सजा का समर्थन किया.
19 साल पुराना मामला
इस बारे में विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना (Suresh Khanna) द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) ने प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिदेशक को सभी छह पुलिसकर्मियों को शुक्रवार को सदन मे पेश किए जाने के निर्देश दिए हैं. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने 2004 में हुई घटना के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए विशेषाधिकार हनन से संबंधित प्रस्ताव रखा गया था. इस पर विशेषाधिकार हनन समिति ने विचार किया और पुलिसकर्मियों को दोषी पाया. इसके बाद कार्रवाई आगे बढ़ाने का फैसला किया गया.
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विशेषाधिकार समिति द्वारा 28 जुलाई 2005 में की गयी सिफारिशों पर विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा सदन की अवमानना के दोषी पुलिसकर्मियों को कारावास की सजा देने की सिफारिश की गयी है. जिन पुलिसकर्मियों पर विशेषाधिकार समिति द्वारा कार्यवाही की सिफारिश की गयी है उनमें बाबूपुरवा के तत्कालीन सीओ अब्दुल समद, किदवईनगर के तत्कालीन एसएचओ ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन सब इंस्पेक्टर त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कॉस्टेबल छोटे सिंह यादव, विनोद मिश्र, मेहरबान सिंह यादव शामिल है. इस तरह लगभग 19 साल बाद इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई. सदन के निर्णय को हाईकोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
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