लखनऊ : पोस्टमार्टम के बाद महिला के शव की आंखें गायब होने के प्रकरण पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. लापरवाही उजागर होने पर डिप्टी सीएम ने बदायूं के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय को निलंबिल कर दिया गया. डॉ. प्रदीप को महानिदेशक कार्यालय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है.


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परिजनों ने लगाया गंभीर आरोप
बदायूं के कुतराई गांव निवासी गंगाचरण की बेटी पूजा की शादी करीब नौ माह पूर्व हुई थी. पिता का आरोप है कि ससुराल वाले दहेज के लिए पुत्री को परेशान कर रहे थे. रूपयों की मांग करते थे. आरोप लगाया कि उनकी पुत्री की हत्या सुसराल वालों ने कर दी. घटना के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. परिजनों के मुताबिक उस वक्त शव की दोनों आंखें थीं. परिजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम के बाद जब शव का बैग खोला तो उसमें पूजा की दोनों आंखे नहीं थीं. आरोप है कि लालच में शव का अपमान कराया गया. इस संबंध में परिजनों ने जिलाधिकारी से शिकायत की.  


अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जांच हुई
11 दिसंबर को अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई. त्रिस्तरीय जाँच समिति ने 12 दिसंबर को रिपोर्ट तैयार की. जिसमें पोस्टमार्टम टीम दोषी पाई गई. बदायूं के मुख्य चिकित्साधिकारी ने अपने दायित्वों का निवर्हन सजग होकर नहीं किया था. 


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घटना पर जताई नाराजगी
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने घटना पर नाराजगी जाहिर की. बदायूं के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रदीप वाष्र्णेय को पदीय दायित्वों एवं कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाह पाया. जांच के बाद डॉ. प्रदीप को निलंबित करते हुए लखनऊ से सम्बद्ध कर दिया गया है. महिला के शव का पहली बार पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों एवं अन्य कार्मिकों का विवरण जुटाने के लिए बरेली के अपर निदेशक को निर्देशित किया गया है.