नई दिल्ली. यूपी 2022 विधानसभा (UP 2022 Vidhansabha Election 2022) चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियों के नेता जोर-शोर से प्रचार में जुट गए हैं. इन सबके बीच पॉलिटिकल किस्सों की चर्चा आम हो गई है. इसी कड़ी में आज हम प्रदेश के एक ऐसे मुख्यमंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके खर्च का पैसा दूसरे राज्य से भेजा जाता था....


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आज के दौर में जहां मुख्यमंत्री बनने के बाद व्यक्ति के पास करोड़ो-अरबों रुपए की संपत्ति हो जाती है. वहीं, एक दौर ऐसा भी था, जब मुख्यमंत्री अपनी विलासिता पूर्ण जीवन के लिए जाने थे. इन्हीं मुख्यमंत्रियों में यूपी में संपूर्णानंद जी भी शामिल थे. वह पहले उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री, फिर मुख्यमंत्री और उसके बाद राजस्थान के राज्यपाल के बने.


इनते बड़े पदों पर बड़ी जिम्मेदारियों पर रहने के बावजूद जब संपूर्णानंद जी वृद्धावस्था में पहुंचे तब उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई. हालत यह थी कि जीवन यापन के लिए राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा को हर माह आर्थिक मदद के लिए पैसे भेजते थे. सुखाड़िया संपूर्णानंद का बहुत आदर करते थे. यही कारण था कि उन्होंने जोधपुर में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय भी बनवाया है.


बनारस में जन्मे थे संपूर्णानंद
संपूर्णानंद का जन्म 1 जनवरी 1890 को बनारस में हुआ था. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत सत्याग्रह आंदोलनों से हुई. इसके बाद वह पूरी तरह से राजनीति में आ गए. 1926 में कांग्रेस ने पहली बार उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे. 1937 में कांग्रेस मंत्रि मंडल में तात्कालिक शिक्षा मंत्री प्यारेलाल शर्मा के त्यागपत्र के बाद संपूर्णानंद को प्रदेश का शिक्षा मंत्री बनाया गया.


1954 में बने मुख्यमंत्री
1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यूपी के तत्कालिक मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संपूर्णानंद के हाथों में सौंपी गई. वह 1962 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद उन्हें राजस्थान के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी दी गई. राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर 1967 में इनका कार्यकाल समाप्त हुआ. इसके दो साल बाद 10 जनवरी 1969 को उनका निधन हो गया.


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