लखनऊ: भारत के लिए 23 अगस्त का दिन हमेशा यादगार रहेगा, जब चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर लैंड (Chandrayaan Soft landing) कर इतिहास रचा. होनी है. चंद्रयान 3 मिशन को सफल बनाने के लिए यूपी के भी कई वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की थी. किसी ने एडवांस कैमरा तो किसी ने सॉफ्टवेयर बनाया था. किसी पर लॉन्चिंग की जिम्मेदारी थी तो किसी ने लैंडिग में अहम भूमिका निभाई. इनमें फिरोजाबाद के धर्मेंद्र प्रताप यादव, मिर्जापुर के आलोक पांडेय, फतेहपुर के सुमित कुमार और उन्नाव के आशीष मिश्रा का नाम शामिल है. 


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फतेहपुर के वैज्ञानिक सुमित कुमार
चंद्रयान-3 में लगे कैमरे को वैज्ञानिक सुमित कुमार ने डिजाइन किया है. सुमित कुमार यूपी के फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं और साल 2008 से इसरो के अहमदाबाद केंद्र में काम कर रहे हैं. सालों के अथक प्रयास के बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर अत्याधुनिक कैमरा डिजाइन किया है. यह कैमरा चंद्रयान के लैंडर और रोवर में लगा है.


लखनऊ की वैज्ञानिक ऋतु करीघाल
चंद्रयान 3 मिशन को लीड करने वाली वैज्ञानिक ऋतु करीघाल उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ से आती हैं. इन्हें भारत की रॉकेट वुमन के रूप में जाना जाता है. ऋतु एक एयरोस्पेस इंजीनियर हैं और इसरो में काम करती हैं. उन्होंने इसरो के कई प्रोजेक्ट्स में ऑपरेशन डायरेक्टर के रूप में काम किया है. 


उन्नाव के वैज्ञानिक आशीष मिश्रा
चंद्रयान 3 के लॉन्चिंग से लेकर लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम के डेवलपमेंट में वैज्ञानिक आशीष मिश्रा ने काम किया है. आशीष उन्नाव के रहने वाले हैं और साल 2008 से इसरो में अपनी सेवा दे रहे हैं. वे पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम 3 में भी अपना योगदान दे चुके हैं. आशीष चंद्रयान 3 की लैंडिग में अहम भूमिका निभाएंगे.


फिरोजाबाद के वैज्ञानिक धर्मेंद्र यादव
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग टीम में फिरोजाबाद के धर्मेंद्र प्रताप यादव शामिल हैं. धर्मेंद्र प्रताप इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. धर्मेंद्र यादव टिकरी गांव के रहने वाले हैं. आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन में वैज्ञानिक धर्मेंद्र यादव का मुख्य कार्य चंद्रयान से सिग्नल प्राप्त करने का है.


मिर्जापुर के वैज्ञानिक आलोक पांडेय
चंद्रयान 3 की लैंडिंग में मिर्जापुर के रहने वाले वैज्ञानिक आलोक पांडेय ने अहम भूमिका निभाई. आलोक पर चंद्रयान की लैंडिग और कंट्रोलिंग की जिम्मेदारी भी है. आपको बता दें आलोक ने मंगलयान 2 मिशन में अहम भूमिका निभाई थी, उनके कार्य को देखते हुए उन्हें उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार दिया गया था. आलोक को चंद्रयान 3 की चांद पर लैंडिंग और कम्यूनिकेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है.


मुरादाबाद से तीन वैज्ञानिक 
चंद्रयान 3 मिशन में मुरादाबाद के तीन वैज्ञानिक अपना योगदान दे रहे हैं. इनमें वैज्ञानिक मेघ भटनागर, रजत प्रताप सिंह और अनीश रमन सक्सेना का नाम शामिल है. वैज्ञानिक मेघ भटनागर पर चंद्रयान 3 के ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर के क्वालिटी कंट्रोल की जिम्मेदारी है. वैज्ञानिक रजत प्रताप सिंह ने चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट को संचालित करने की जिम्मेदारी संभाली. वैज्ञानिक अनीश रमन सक्सेना चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 में भी काम कर चुके हैं.  


प्रयागराज के वैज्ञानिक हरिशंकर गुप्ता
प्रयागराज के रहने वाले वैज्ञानिक हरिशंकर गुप्ता ने चंद्रयान 3 के लिए हेजार्ड्स डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया है. इससे चंद्रयान 3 को चांद की सतह पर सुरक्षित उतारने में मदद मिलेगी. इस मैकेनिज्म से चांद की सतह पर गड्ढों का पता लगाया जा सकेगा और लैंडर को सुरक्षित स्थान पर उतारा जाएगा. 


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प्रतापगढ़ के वैज्ञानिक रवि केसरवानी 
चंद्रयान 3 में शेप नाम का नया उपकरण जोड़ा गया है. इस उपकरण की मदद से चंद्रयान को प्रकाश मिल रहा है. चंद्रयान 2 में यह उपकरण नहीं था. इसलिए चंद्रयान को चंद्रमा से ही प्रकाश लेना पड़ता था. इस उपकरण को प्रतापगढ़ के रहने वाले वैज्ञानिक रवि केसरवानी की टीम ने बनाया है. रवि के पिता कुंडा के सरयूनगर मोहल्ले में रहते हैं. 


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