लखनऊ : यूपी सरकार ने कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJM) यूनिवर्सिटी कुलपति विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की है. उन पर आगरा विश्वविद्यालय में परीक्षा कराने वाली एक निजी कंपनी के बिलों के भुगतान के लिए पैसे लेने का आरोप है. यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) अब तक पाठक के 4 साथियों को गिरफ्तार कर चुकी है.


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यह है पूरा मामला 
दरअसल, अक्टूबर में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में परीक्षा आयोजित करने वाली एक कंपनी के मालिक डेविड मारियो दानिश ने विनय पाठक पर अपनी कंपनी के बिलों के भुगतान के लिए 1.4 करोड़ रुपये निकालने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी. बाद में मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया था.


29 अक्‍टूबर को दर्ज की गई थी एफआईआर 
विनय पाठक और उसके सहयोगी अजय मिश्रा के खिलाफ 29 अक्टूबर को लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में जबरन वसूली, धमकी देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस पर एसटीएफ ने अजय मिश्रा, संतोष सिंह और अजय जैन सहित 3 को गिरफ्तार कर लिया. संतोष कुमार सिंह अजय मिश्रा का करीबी सहयोगी है. 


प्रश्‍नपत्रों की छपाई में होता था खेल 
अजय मिश्रा कथित रूप से विनय पाठक की मदद से विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों से परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों की छपाई का ठेका लेता था और फिर उन्हें सिंह को सौंप देता था. गुड़गांव के अजय जैन ने भ्रष्ट आचरण से कमाए गए पैसे का लेन-देन किया और नकली और छेड़छाड़ किए गए बिल और ई-वे बिल बनाकर लेनदेन को प्रबंधित किया. उन पर धोखाधड़ी, सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था. 


अपने खिलाफ दर्ज FIR को दी थी चुनौती 
एसटीएफ के अधिकारियों ने कहा कि आगरा, कानपुर और बरेली के विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं सामने आई हैं. आगरा यूनिवर्सिटी में जांच के दौरान एसटीएफ को कई सबूतों से छेड़छाड़ मिली. दूसरी ओर विनय पाठक ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए एक नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ का रुख किया था, हालांकि न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वी. के. सिंह की अदालत ने 15 नवंबर को कहा था कि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और जांच में जुटाए गए सबूतों को देखते हुए प्रथमदृष्‍टया उनके खिलाफ अपराध बनता है. 


8 राज्‍यों के विश्‍वविद्यालयों में कुलपति रह चुके हैं 
प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने 13 वर्षों की अवधि में 8 राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति के रूप में कार्य किया है. पहली बार उन्हें 2009 में उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी, हल्द्वानी का वी-सी नियुक्त किया गया था. 2013 में उन्होंने वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा में वी-सी के पद पर कार्य किया. एक साल बाद उन्हें राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद प्रोफेसर पाठक ने उत्तर प्रदेश का रुख किया. 2015 में उन्हें अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया. 


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