लखनऊ: दिसंबर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण के गणित बिगड़ने से चुनाव लड़ने वाले पार्षद काफी परेशान दिख रहे हैं. नए परिसीमन के खेल में कई पार्षदों का चुनावी गणित बिगड़ गया है, जिसे लेकर अब उनकी धड़कनें तेज हो रही हैं. इस बार आरक्षण में 30% से अधिक सीटों पर उलटफेर हो जाएगा. वार्डों के आरक्षण की वजह से 30 से अधिक पार्षद इस बार अपनी सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. आरक्षण की अधिसूचना सोमवार को जारी होने की उम्मीद है. इसके चलते पार्षदों की चुनाव लड़ने से पहले ही धड़कने तेज हो गई हैं. 


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गौरतलब है कि नगर निगम के चुनाव में कई दिग्गज पार्षद भी इस बार आरक्षण को लेकर आशंकित हैं. रविवार को अवकाश के बावजूद पार्षद पूरे दिन अफसरों से आरक्षण की अधिसूचना की जानकारी मांगते रहे. बीजेपी के तमाम पार्षद भी काफी बेचैन हैं. कुछ पार्षद ऐसे भी हैं, जिनका विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय विधायक से मनमुटाव हुआ था, ऐसे में वह आशंकित है कि कहीं उनकी सीटों में कोई हेरफेर तो नहीं हुई है. 


सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में 30 प्रतिशत से अधिक सीटें ऐसी हैं. जो इस बार नई श्रेणी के लोगों के लिए आरक्षित की गई हैं. ऐसे में इन वार्डों से पूर्व में चुनाव लड़ चुके पार्षद इस बार नहीं लड़ पाएंगे.कुछ पार्षदों को अपनी जगह पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारना पड़ेगा, क्योंकि कई नई सीटें सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दी गई हैं. शासनादेश के मुताबिक अकेले 25 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. जो 25 सीटें इस बार महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं वह सभी नई होंगी.


शासनादेश के मुताबिक पिछले वर्ष जो 25 सीटें सामान्य महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, वह इस बार उनके लिए आरक्षित नहीं रहेंगी. इसी तरह एससी के लिए 14 तथा ओबीसी के लिए 21 सीटें आरक्षित की गई हैं. हालांकि नगर विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चक्रानुक्रम में सीटों का फेरबदल किया जाएगा. जहां जिस वर्ग के वोटर अधिक संख्या में होंगे, उसी हिसाब से चक्रानुक्रम में फैसला लिया जाएगा.