यूपी में यादव नेताओं ने नए मंच का किया ऐलान, अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा के वोटबैंक में लगेगी सेंध ?
UP News : उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव भले ही अभी दो साल दूर हों, लेकिन अभी से तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है. शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) की अगुवाई में राज्य के बड़े यादव नेता जैसे सुखराम यादव, डीपी यादव औऱ बालेश्वर यादव आदि एक मंच पर जुट रहे हैं. यदुकुल पुनर्जागरण मंच के बैनर तले ये यादव नेता नई रणनीति तैयार करेंगे. ये कवायद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को नुकसान पहुंच सकती है.
UP Yadav VoteBank : उत्तर प्रदेश में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है. यूपी में गुरुवार को बड़े यादव नेता एक मंच पर जुटे. इन नेताओं ने यदुकुल पुनर्जागरण मंच (yadukul punarjaagaran manch) के तहत नए सामाजिक संघर्ष का ऐलान किया. शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने बुधवार को इस बैठक की शुरुआत में प्रेस कान्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि आज यदुकुल पुर्नजागरण मंच के तहत जो हम लोग इकट्ठा हुए हैं. वो सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे. हम यादव समाज के इतिहास को पूरा पढ़ेंगे और उसका गौरव लौटाने का पूरा प्रयास करेंगे. इस बैठक में 100 से ज्यादा यादव नेता पहुंचे. अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचाने के सवाल पर मिशन के अध्यक्ष डीपी यादव ने कहा, हम किसी को तोड़ने की बजाय जोड़ने के लिए एकजुट हुए हैं.
यूपी में यादव नेताओं का सियासी मंच, अखिलेश की अगुवाई वाली सपा के वोटबैंक में सेंध ?
शिवपाल सिंह यादव ने कहा, हम किसानों की एमएसपी का मुद्दा उठाएंगे. बेरोजगारी का मामला आगे ले जाएंगे. इसमें सिर्फ यादव समाज की बात नहीं होगी. यदुकुल के तहत आने वाली सभी जातियों को एक मंच पर लाया जाएगा और उनकी समस्याओं को हल करने की लड़ाई लड़ी जाएगी. जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी आगे बढ़ेंगे. मिशन के नेता भरत लोधी ने कहा, हमारा मकसद लोधी, निषाद और अन्य जातियों को भी एकजुट कर उनके राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रतिनिधित्व पर ध्यान दिया जाएगा. इस बैठक में विजय यादव, रामपाल यादव समेत कई अन्य नेता भी शामिल हुए.
सामाजिक एकजुटता के बहाने सियासी ताकत बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है.इस बैठक में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) , सुखराम यादव, डीपी यादव, बालेश्वर यादव के शामिल होने के आसार हैं.यूपी विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल औऱ अखिलेश की राहें अलग होने के बाद इसे बड़ी सियासी कवायद माना जा रहा है.अखिलेश के चाचा विधानसभा चुनाव में सपा के चुनाव चिन्ह पर ही जसवंतनगर विधानसभा सीट से लड़े थे. हालांकि उन्हें चुनाव बाद सपा की बड़ी बैठकों में नहीं बुलाया गया तो उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जता दी.
गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सपा की वापसी की उम्मीदों को धराशायी करते हुए बीजेपी ने दोबारा सत्ता में वापसी की थी. बीजेपी ने तीन दशक पुराने सियासी मिथक को भी तोड़ दिया था. योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने फिर से पूर्ण बहुमत हासिल किया था.
शिवपाल सिंह यादव की नई रणनीति
शिवपाल ने पीएम मोदी, अमित शाह जैसे बड़े बीजेपी नेताओं की तारीफ कर नई सियासी पारी के संकेत दिए. सपा ने भी खुलकर कहा कि शिवपाल जहां जाना चाहते हैं, वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं. उल्लेखनीय है कि यादव यूपी में समाजवादी पार्टी का बड़ा जनाधार रहा है. हालांकि पिछले कुछ वक्त में बीजेपी ने इसमें सेंध लगाई है. आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत इसका बड़ा सियासी उदाहरण माना जा सकता है. यहां बीजेपी से मैदान में उतरे दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा के एमवाई समीकरण का तिलिस्म तोड़कर विजय पताका फहराई थी.