UP Vidhansabha Chunav 2022 टलेगा या अपने समय पर होगा? जानिए CEC सुशील चंद्रा ने क्या जवाब दिया
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा का 5 साल का कार्यकाल फरवरी 2022 में समाप्त हो रहा है. लेकिन कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे को ध्यान में रखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों को स्थगित करने की सलाह दी है.
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट के अनुरोध पर साल 2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड के चुनाव टाले जा सकते हैं. इस बारे में भारतीय निर्वाचन आयोग आगामी सप्ताह में फैसला लेगा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आगामी विधानसभा चुनावों को स्थगित करने और रैलियों, जनसभाओं को रोकने का आग्रह करने के एक दिन बाद, चीफ इलेक्शन कमीश्नर सुशील चंद्रा ने कहा कि आयोग इस संबंध में अंतिम निर्णय अगले सप्ताह लेगा.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा का 5 साल का कार्यकाल फरवरी 2022 में समाप्त हो रहा है. लेकिन कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे को ध्यान में रखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन चुनावों को स्थगित करने की सलाह दी है. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा, ''अगले हफ्ते, हम उत्तर प्रदेश जाएंगे और वहां की स्थिति की समीक्षा करेंगे. फिर एक उचित निर्णय लेंगे.''
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इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता लागू करता है तो उसे ही राज्य चुनावों के संचालन पर फैसला करना चाहिए. ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा, "जब भारत का चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता लगाता है, तो उन्हें यह तय करना होता है कि चुनाव कब होंगे." इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार को चुनाव आयोग और पीएम मोदी से यूपी विधानसभा चुनाव को 1 या 2 महीने के लिए स्थगित करने पर विचार करने का आग्रह किया था.
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देश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनसे आगामी चुनावों में रैलियों, जनसभाओं को रोकने और चुनावों को स्थगित करने पर विचार करने का अनुरोध किया था. अदालत ने महामारी की स्थिति को देखते हुए कड़े कदम उठाने के लिए कहा था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, "यदि संभव हो तो चुनाव स्थगित करने पर विचार करें, क्योंकि अगर हम जिंदा रहे तो रैलियां और बैठकें बाद में भी हो सकती हैं."
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