UP Power Crisis In-Depth: ऐसा क्या हुआ कि बिजली पर गहराया संकट? जानें क्यों बन रहे ये हालात
आपको बता दें कि पूरे देश की 72% बिजली कोयले की मदद से बनाई जाती है. इसके लिए पहले कोयले से इलेक्ट्रिसिटी बनती है और फिर इस इलेक्ट्रिसिटी को कई सरकारी और निजी कंपनियां लोगों तक पहुंचाती हैं. इसके लिए कस्टमर से चार्ज लिया जाता है...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट गहराता जा रहा है. बिजली की कटौती की वजह से आमजन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी मिल रही है कि कोयले की कमी की वजह से बिजली का प्रोडक्शन मुश्किल हो रहा है. इसलिए कई राज्यों में आधिकारिक तौर पर कटौती का ऐलान भी किया गया है. हालांकि, सीएम योगी ने प्रदेशवासियों की दिक्कतों का तुरंत संज्ञान लिया और आदेश दिए कि त्योहारों के बीच में रात में बिजली गुल नहीं होनी चाहिए.
अब बड़ा सवाल यह है कि ऐसा हो क्यों रहा है? एकदम से कोयले की कमी क्यों हुई और ऐसा क्या हो गया कि बिजली उत्पादन धीमा पड़ गया? इस खबर के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि इसके पीछ क्या वजह रही है.
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कैसे बनती है बिजली?
आपको बता दें कि पूरे देश की 72% बिजली कोयले की मदद से बनाई जाती है. इसके लिए पहले कोयले से इलेक्ट्रिसिटी बनती है और फिर इस इलेक्ट्रिसिटी को कई सरकारी और निजी कंपनियां लोगों तक पहुंचाती हैं. इसके लिए कस्टमर से चार्ज लिया जाता है, जो हम प्रति यूनिट की दर से देते हैं.
UP में कहां से आती है बिजली?
यूपी में बिजली व्यवस्था का दारोमदार राज्य के अपने चार बिजलीघरों के अलावा निजी क्षेत्र के आठ और एनटीपीसी के करीब डेढ़ दर्जन बिजलीघरों से मिलने वाली बिजली पर है. कोयले की कमी से लगभग 6873 मेगावॉट क्षमता की इकाइयां या तो बंद हुई हैं या उनके उत्पादन में कमी करनी पड़ी है. इससे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता घट गई है.
17 हजार MW की मांग में 15 हजार MW की उपलब्धता
यूपी में बिजली की मांग 17000 मेगावाट के आसपास बनी हुई है, जबकि उपलब्धता 15000-16000 मेगावॉट ही है. 2000 मेगावॉट तक की कटौती करनी पड़ रही है. गांवों को 18 घंटे के बजाय 11 घंटे, तहसीलों को 21.30 घंटे के बजाय करीब 17 घंटे और बुंदेलखंड को 20 घंटे के बजाय करीब 14 घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है. कुछ जिलों में भी अघोषित कटौती हो रही है. बिजली संकट पूरे देश में होने के कारण एनर्जी एक्सचेंज में बिजली की कीमत 9 रुपये से 21 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई है.
रोजाना की खपत और स्टॉक
हरदुआगंज व पारीछा में कोयले का स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है. अनपरा में दो और ओबरा में ढाई दिन का कोयला शेष बचा है. (आंकड़े मीट्रिक टन में हैं.)
कोयले का स्टॉक रोजाना की जरूरत
हरदुआगंज 4022 8000
पारीछा 9680 15000
अनपरा 86426 40000
ओबरा 4243 16000
क्या है कटौती की वजह?
दरअसल, कोयले की कमी की वजह से बिजली उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है. इसके अलावा, यह भी बताया जा रहा है कि प्रदेश में बिजली की खपत एकदम से और काफी ज्यादा बढ़ गई है, जिस वजह से उस स्तर पर प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा. जानकारी के मुताबिक, कोरोना वायरस की दूसरी लहर खत्म होने के बाद से ही बिजली की खपत बढ़ गई. कई इंडस्ट्री ने एक साथ बड़े लेवल पर दोबारा काम करना शुरू कर दिया, जिसके लिए पावर प्लांट तैयार नहीं थे. कोरोना से पहले और बाद में बिजली की खपत में करीब 20% की वृद्धि हुई है.
कोयले के स्टॉक क्यों हुआ कम?
वहीं, पावर प्लांट्स में कोयले के स्टॉक में कमी को लेकर 4 बड़े कारण बताए जा रहे हैं.
1. अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार (Revival of Economy) की वजह से बिजली की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है.
2. लगातार हुई भारी बारिश की वजह से कोयले के प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्ट पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
3. इंपोर्ट कर लाए जाने वाले कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी.
4. मॉनसून आने से पहले कोयले का स्टॉक भरने में लापरवाही
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कुछ दिनों के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध
फिलहाल, केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह आश्वासन दिया है कि बिजली आपूर्ति को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. Coal India Limited के पास अभी 24 दिनों की कोयले की मांग के बराबर 43 मिलियन टन का स्टॉक है. वहीं, कोयला मंत्रालय ने भी कहा है कि पावर प्लांट्स चलाने के लिए देशभर में पर्याप्त कोयला है.
कोयले की नेशनल और इंटरनेशनल कीमतों में अंतर
बता दें, देश और वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में बड़ा अंतर आया है. कोयले की इंटरनेशनल कीमत देश में कोयले के रेट से काफी ज्यादा है. इस वजह से इंपोर्ट में दिक्कतें आ रही हैं. वहीं, भारत में घरेलू कोयले की कीमतें तय करने वाली कोल इंडिया वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद भी घरेलू कीमतों को स्थिर रखा. इससे यहां की कीमतें कम रहीं और आयात उस स्तर पर नहीं हो सका, जितना होना चाहिए था.
कई राज्य सरकारों ने किया पावर कट
अब कई राज्य जैसे पंजाब, केरल, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड आदि ने पावर कट का ऐलान कर दिया है. ऐसे में पंजाब ने 13 अक्टूबर तक पावर कट को बढ़ा दिया है.
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