हेमकान्त नौटियाल/उत्तरकाशी: दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं, कहते है कि उनके पास जुबां है लेकिन हमारी तरह बोल व सुन नहीं सकते. अगर जीवन साथी उनको बोलने व सुनने वाला सामान्य मिल जाए और ऊपर से साइन लैंग्वेज यानी सांकेतिक भाषा की अच्छीखासी पकड़ रखता हो तो फिर क्या कहने और ये हुआ है उत्त्तरकाशी के बड़कोट नन्दगांव में, जहां मूकबधिर अभिषेक से नैनीताल की सामान्य युवती अनुग्रह त्यागी ने शादी कर समाज मे मिसाल पेश की है.


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बचपन से ही भाई-बहन है मुकबधिर 
दरअसल बड़कोट नन्दगांव निवासी एक्स आर्मी सूबेदार प्रमोद सिंह विष्ट की बेटी आभा विष्ट और बेटा अभिषेक सिंह विष्ट मूकबधिर हैं. जन्म के समय प्रमोद और उनकी पत्नी राजकुमारी की पहली बेटी वो भी बोल व सुन नहीं सकती थी. बेटा हुआ वो भी मूक बधिर हुआ तो मां बाप के लिए समाज के ताने बानो को सुनने के अलावा कुछ कर गुजरने की इच्छा जागृत हुई. दोनों बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से शहर-शहर घूमे, दोनों दिव्यांग बच्चों को उच्च शिक्षा के साथ एनीमेशन डिप्लोमा का प्रशिक्षण करवाया. मूकबधिर अभिषेक विष्ट और बेटी आभा विष्ट एनीमेशन का डिप्लोमा के बाद दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू कर दी. अभिषेक की बड़ी बहन आभा की दिल्ली में शादी हो गई है. 


पांच साल पहले हुई थी मुलाकात 
दुल्हन अनुग्रह त्यागी ने बताया कि जब मैं पहली बार 2018 में मिली तो मुझे बिल्कुल भी यह नहीं लगा की हम अलग हैं, क्योंकि मुझे सांकेतिक भाषा आती थी. हम लोग अलग नहीं है, अलग है तो वह भाषा है, जो सांकेतिक है. जब मैंने अभिषेक को अपना जीवन साथी चुना तो बहुत से लोगों ने कहा कि तुम परेशान हो जाओगी, मगर मुझे उन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा और आज हम शादी के बंधन में बंध गए. मुकबधिरों को लेकर ज्यादातर लोगों की यह सोच है कि यह जिंदगी में कुछ कर नहीं सकते हैं, लेकिन यह सोच गलत है. आपके सामने उदाहरण के रूप में है अभिषेक है उसकी बहन आभा है. ऐसे बहुत सारे मुकबधिर हैं, जो ऊचाईयों तक पहुंचे हैं. 


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