Gyanvapi Case: सभी जगह आज चर्चा इस बात की हो रही है कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के अंदर मिला स्ट्रक्चर शिवलिंग है या फिर फव्वारा. लेकिन क्या आप जानते है ये जंग किसने और कैसे शुरू की.ये पूरा मामला पांच महिलाओं की तरफ से दायर याचिका के कारण  सामने आया. इन सभी महिलाओं ने श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) ने पूरे साल दर्शन और पूजन के लिए रास्ता खोले जाने के साथ ही मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की थी. आइए जानते हैं कि ये महिलाएं कौन हैं?


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Gyanvapi Case: दर्शन-पूजन के अधिकार मामले में 31 साल बाद आएगा बड़ा फैसला, अदालत पर टिकीं सबकी निगाहें, तय होगा ज्ञानवापी मस्जिद का भविष्‍य


ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़ी पांच महिलाएं
ज्ञानवापी मामले में मुकदमा दायर करने वाली 5 याचिकाकर्ताओं में से एक दिल्ली की रहने वाली हैं और बाकी चार महिलाएं वाराणसी की रहने वाली है. इन महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर 'श्रृंगार गौरी स्थल' पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी है. इन महिलाओं के नाम हैं-राखी सिंह, सीता साहू, लक्ष्मी देवी,मंजू और रेखा पाठक.


राखी सिंह-दिल्ली
राखी सिंह दिल्ली की हौज़ ख़ास की रहने वाली हैं. राखी वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जीतेन्द्र सिंह बिसेन से जुडी हुई है. राखी  के पति का नाम इंद्रजीत सिंह हैं और लखनऊ के हुसैनगंज का भी एक स्थानीय पता है. बनारस की याचिका कर्ता बाकी महिलाओं से इनका संपर्क कम ही है .  


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लक्ष्मी देवी (वाराणसी)
लक्ष्मी देवी के पति डाक्टर सोहन लाल आर्य हैं जो बनारस के महमूरगंज निवासी है. सोहन लाल आर्य श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में इससे पहले 1996 में एक याचिका दायर की थी. यह किसी संगठन से नहीं जुड़ी हैं. घर गृहस्थी संभालती हैं.


सीता साहू (वाराणसी)
सीता साहू बनारस के चेतगंज के में रहती है. उनके पति गोपाल साहू बिजनेस करते हैं. सीता साहू ज्ञानवापी परिसर से महज 2 किमी दूर अपने घर से एक छोटा सा जनरल स्टोर चलाती हैं. ये भी किसी संगठन से नहीं जुड़ी हैं.


मंजू व्यास (वाराणसी)
काशी के ही राम घाट मोहल्ले की रहने वाली मंजू व्यास इस याचिका में चौथी महिला हैं. उनके पति विक्रम व्यास हैं जो बिजनेस करते थे. 


रेखा पाठक (वाराणसी) 
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के समीप स्थित हनुमान पाठक क्षेत्र की निवासी रेखा पाठक गृहिणी हैं. 


वादी रेखा पाठक ने किया जीत का दावा
काशी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई से ठीक पहले पांच वादी महिलाओं में से एक रेखा पाठक ने बड़ा दावा किया है. रेखा पाठक ने जी मीडिया से बातचीत में कहा ज्ञानवापी का फैसला हमारे पक्ष में ही आएगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का दावा बिल्कुल निराधार है न तो जमीन मुस्लिमों की है और न ही वक्फ बोर्ड की और ना ही वहां मस्जिद है. ज्ञानवापी हिंदुओं की आस्था का एक केंद्र है. वहां पर भगवान आदि विशेश्वर का शिवलिंग है. सर्वे के दौरान ही बाबा हमें मिल गए थे और अब कानूनी लड़ाई में हमारी जीत होगी. रेखा पाठक ने बताया कि काशी वासियों से अपील की गई है कि वह अपने घरों व छतों के बालकनी से ताली, थाली व घंटे-घड़ियाल बजाएं जाएं ताकि हिंदुओं के आस्था को प्रकट किया जा सके.रेखा पाठक ने कहा कि इस फैसले के बाद आगे ढांचे को गिराने, शिवलिंग के नियमित दर्शन-पूजन के अधिकार व एएसआई करने की मांग की जाएगी.


 


याचिका में शामिल सभी महिलाओं का एक ही कहना है कि उनकी मुलाकात दर्शन पूजन के दरमियान हुई . फिर दोस्ती हो गई और उसके बाद याचिका दायर किया और अब हम लोग इसे अंतिम दिन तक लड़ेंगे.


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