What is PFI: बीती 3 जून को कानपुर के बेकनगंज में हिंसा भड़की थी और पत्थरबाजी की गई थी. इसके बाद तत्काल रूप से पुलिस ने एक्शन लिया और इस साजिश के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी को गिरफ्तार कर लिया है. इसी के साथ कुल 50 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं. जांच में मुख्य साजिशकर्ता हयात जफर हाशमी के लिंक 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' से जुड़े पाए गए हैं. इनेवेस्टिगेशन के दौरान हयात के घर से पीएफआई से जुड़े 4 ऑर्गेनाइजेशन के डॉक्यूमेंट्स मिले. बताया जा रहा है कि इन डॉक्यूमेंट्स में फंडिंग के सबूत हैं. ऐसे में पुलिस को शक है कि उपद्रवियों को फंडिंग पीएफआई की तरफ से ही मिल रही थी. 


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कई दंगों में पाया गया था पीएफआई का रोल
गौरतलब है कि यह ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब देश में भड़की किसी हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ होने की आशंका जताई जा रही हो. आपको जहांगीरपुर हिंसा, सीएए और हाथरस कांड के दौरान हुई हिंसा तो याद ही होगी. इन सभी कांड में पीएफआई के इन्वॉल्वमेंट की बात सामने आई थी. 


क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)?
अब आपके लिए यह जानना जरूरी है कि पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है क्या और इसे किस मोटिव से बनाया गया है? आज सभी सवालों का जवाब आपको यहां मिलेगा... 


दरअसल, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक कट्टर इस्लामिक संगठन है, जो खुद को पिछड़ों के अधिकार के लिए आवाज उठाने वाला बताता है. लेकिन, देश में हुए कई दंगे ऐसे हैं, जिसमें इस संगठन का कनेक्शन पाया गया है.


1993 में बनी PFI, 2007 में आधिकारिक गठन
पीएफआई की स्थापना 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट से हुई थी. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस संस्था की शुरुआत साल 2007 में 17 फरवरी को की गई थी (पीएफआई की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 22 नवंबर 2006 को इसकी स्थापना की गई थी). यह भी कहा जाता है कि 2007 की फरवरी में कर्नाटक के बेंगलुरु में एम्पावर इंडिया कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था, जहां पीएफआई के गठन का ऐलान किया गया. यह संगठन वैसे तो केरल से ही चलता है, लेकिन इससे जुड़े लोग पूरे देश में फैले हुए हैं. 


ISIS से जुड़े होने का आरोप
PFI पर कथित तौर पर दुनिया के सबसे अमीर आतंकी संगठन ISIS (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) से जुड़े होने के भी आरोप लगते आए हैं. फिलहाल, PFI देश के 23 राज्यों में सक्रिय है.


पीएफआई करता है एकता की रक्षा करने का दावा
पीएफआई की एक आधिकारिक वेबसाइट भी है, जिसके अनुसार दावा किया गया है कि इस संस्था का एक ही मोटिव है- देश की एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना. इसी के साथ पीएफआई का यह भी दावा रहा कि वह देश में शांति बनाए रखने के लिए काम करेगी और भारत को डेवलपमेंट की ओर बढ़ाएगी.


PFI पहली बार कब आई चर्चा में?
साल 2006 की बात है जब रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल फ्रंट का आयोजन किया गया था. उस दौरान बड़ी संख्या में वहां लोग इकट्ठा हुए थे, जब पीएफआई च. वहीं, कानपुर हिंसा के अलावा, सीएए से जुड़ी हिंसा में भी पीएफआई का रोल पाया गया था. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात छपी थी कि पीएफआई ने प्रदर्शन के नाम पर शांति भंग करने की कोशिश की थी.


एक राज्य में प्रतिबंधित भी है पीएफआई
जानकारी के लिए बता दें कि झारखंड में पीएफआई पूरी तरह से बैन है. केरल में भी इसे बैन करने का मुद्दा उठाया गया था, लेकिन इस मांग को लेकर वहां काफी बवाल हुआ. मामला इसलिए भी भड़क गया क्योंकि पीएफआई सबसे ज्यादा सक्रिय साउथ इंडिया में ही है और दक्षिण के राज्यों में उसकी जड़ें काफी फैली हुई हैं.


SIMI के बी-विंग के रूप में थी चर्चा में
यह भी कहा जाता है कि PFI, स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के बी-विंग के तौर पर वर्क करता है. साल 2006 में SIMI पर बैन लगा दिया गया था. इसलिए 2007 में PFI का अलग से गठन किया गया और दावा किया गया कि यह संगठन मुस्लिमों को उनका अधिकार दिलाने का कार्य करेगा.