नई दिल्ली: दुनिया के सात अजूबों की बात करें, तो उसमें ताजमहल का नाम शुमार है. ये पूरे विश्व में अपनी खास तरह की खूबसूरती के लिए जाना जाता है. इसकी खूबसूरती का दीदार करने के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं. ताजमहल में लगे सफेद मार्बल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं. रात के समय जब चांद की रोशनी ताजमहल पर पड़ती है तो यह पूरी तरह से चमक उठता है. क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि ताजमहल को बनाने के लिए सफेद मार्बल का ही इस्‍तेमाल क्‍यों किया गया? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि इसे बनाने के लिए मकराना के सफेद मार्बल का इस्‍तेमाल किया गया था और इसके पीछे भी एक खास वजह थी.       


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इसलिए हुआ सफेद पत्‍थरों का इस्‍तेमाल
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ताजमहल में इस्‍तेमाल किए गए सफेद मार्बल का खास महत्‍व है. इतिहास में इसे जिस दौर में बनावाया गया था, उस वक्त सफेद पत्‍थरों का इस्‍तेमाल कुछ चुनिंदा इमारतें बनाने के लिए ही किया जाता था. मुगल काल के दौरान किसी भी महल और इमारत की अपनी एक खासियत होती थी. कहा जाता है कि मुगल काल के दौरान किसी भी महल और इमारत के निर्माण के लिए सबसे ज्‍यादा दो तरह के पत्‍थरों का इस्‍तेमाल किया जाता था. इसमें लाल और सफेद पत्थर शामिल थे. लाल पत्‍थरों का इस्‍तेमाल खासकर महलों और इमारतों को बनाने में किया जाता था, लेकिन सफेद पत्‍थर का इस्‍तेमाल कुछ चुनिंदा जगहों के लिए ही होता था. 


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बनते थे मकबरे, कब्र या समाधि 
ऐसे मार्बलों को पवित्र स्‍थानों के निर्माण के लिए संभालकर रखा जाता था. इन मार्बल्स से केवल मशहूर हस्तियों के मकबरे, कब्र या समाधि ही बनाए जाते थे. यही सबसे मुख्य कारण है कि ताजमहल को बनवाने के लिए सफेद मार्बल इस्‍तेमाल में लाए गए.


समय-समय पर बदलता है रंग
इस मार्बल की एक अन्य खासियत भी है. देखा गया है कि समय-समय पर इसका रंग बदलता रहता है. मार्बल तो सफेद है, लेकिन ताजमहल कई बार अलग-अलग रंगों में दिखता है. जैसे हर सुबह सूरज की किरणें जब इस पर पड़ती हैं, तब यह गुलाबी नजर आता है. वहीं, पूरे दिन यह सफेद दिखता है और रात के समय चंद्रमा की रोशनी में यह सुनहरा दिखाई पड़ता है.


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