दूसरा ताजमहल न बन सके इसलिए काट दिए गए थे मजदूरों के हाथ? क्या शाहजहां इतना क्रूर था!
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दूसरा ताजमहल न बन सके इसलिए काट दिए गए थे मजदूरों के हाथ? क्या शाहजहां इतना क्रूर था!

 क्‍या शाहजहां ने ताहमहल के बनने के बाद इसे तैयार करने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि ऐसे नायब अजूबे को दुबारा कोई और कभी बना ना सके? हमारे इस आर्टिकल को पढ़ कर जानिए पूरा सच.. 

दूसरा ताजमहल न बन सके इसलिए काट दिए गए थे मजदूरों के हाथ? क्या शाहजहां इतना क्रूर था!

नई दिल्ली: आप सभी जानते होंगे कि हर साल पर्यटकों को आगरा में आयोजित होने वाले 'ताज फेस्टिवल' (Taj Festival) का कितना बेसब्री से इंतजार रहता है. इस साल इस फेस्टिवल की शुरुआत 20 मार्च से होने वाली है.ताज फेस्टिवल के दौरान दुनिया भर के कई देशों से पर्यटक यहां पहुंचते हैं.पर्यटक ताज महल की एक झलक पाने के लिए यहां पहुंचते हैं तो वे इससे जुड़ी हर उस चीज जो देखना चाहते हैं जिसे उन्होंने सिर्फ तस्वीरों में ही देखा है. 

यहां पर आने वाले पर्यटक इस सातवें अजूबे के बारे में हर वो बात जानना चाहते हैं जो उन्‍हें नहीं पता है.उन्ही में से एक किस्सा ये भी है कि क्‍या शाहजहां ने ताजमहल बनने के बाद इसे तैयार करने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि ऐसे नायब अजूबे को दोबारा कोई और कभी बना ना सके? ऐसे ही कई सवालों के जवाब जानने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.

शाहजहां ने इस वजह से बनवाया ताजमहल
इतिहास में शाहजहां का नाम कई महिलाओं के साथ जोड़ा गया है.ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि वह सबसे अधिक प्यार मुमताज महल से ही करते थे. कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि जब तक उनकी बेगम मुमताज जीवित थीं तब तक शाहजहां पूरी तरह से उनके प्रति समर्पित थे.यहां तक उनकी कई दूसरी पत्नियों की उनके निजी जीवन में  कम दखल रखती थीं.

 इतिहासकार 'इनायत खां' ने अपनी किताब में किया 
शाहजहां के दरबारी और इतिहासकार 'इनायत खां' ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र भी किया है कि शाहजहां मुमताज के बगैर एक पल नहीं रह सकते थे. ताजमहल बनवाने के पीछे  वो सपना था जिसे मुमताज ने देखा था. शाहजहां के गद्दी संभालने के 4 साल के अंदर ही मुमताज महल का निधन हो गया था. निधन से पहले कुछ अंतिम क्षणों में मुमताज ने शाहजहां से कहा था कि उन्‍होंने सपने में एक ऐसा सुंदर महल और बाग देखा है उस जैसा पूरी दुनिया में कहीं नहीं है. मेरी आपसे बस एक गुजारिश है कि आप मेरी याद में ऐसा ही एक मकबरा बनवाएं. इसके बाद ही शाहजहां ने मुमताज की इच्छा को पूरा करने के लिए ताजमहल का निर्माण शुरू करवाया.

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क्‍या ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ काटे गए थे?
क्‍या सच में ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ काट दिए गए थे? एक रिपोर्ट कहती है कि, ताजमहल के गाइड इस किस्‍से को बड़े चांव से सुनाते हैं. पर्यटकों के बीच यह बात हमेशा ही चर्चा का विषय भी होती है. क्‍योंकि दुनिया के इस अजूबे को देखने के बाद यह बात कहीं ना कहीं सच भी लगती है. लेकिन यह बात महज एक कोरी कल्‍पना है. आज तक इतिहास में ऐसी किसी भी घटना के कोई सुबूत नहीं मिले हैं और ना ही इतिहासकारों ने कभी किसी डॉक्यूमेंट में इसका जिक्र किया है. 

ताजमहल बनाने में लगे करीब 22 साल
प्यार की निशानी ताजमहल को बनाने में शाहजहां ने कोई कसर नहीं छोड़ी. इसे तैयार करने के लिए कारीगरों की एक लम्बी-चौड़ी टीम तैयार की गई थी. इसका निर्माण 1631 ईसवी में शुरू किया गया था और इसको बनने में करीब 22 साल का समय लगा था.इसका जिक्र शाहजहां की जीवनी ‘शाहजहां द राइज एंड फॉल ऑफ द मुगल एम्‍परर’ में किया गया है. इस जीवनी को फर्गुस निकोल ने लिखा है. वह लिखते हैं, ताजमहल बनाने वाले अधिकतर मजदूर कन्नौज के हिंदू थे. फूलों की नक्काशी करने वालों को नेपाल के पोखरा शहर से बुलाया गया था. कश्मीर के राम लाल को बगीचे बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.

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