लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले सियासी गठबंधन का दौर शुरू हो गया है. पटना में विपक्षी दलों महाबैठक के बाद बीजेपी खेमा में भी एक्टिव हो गया है. महाराष्ट्र में एनसीपी में फूट के बाद अब यूपी में भी नये साथी की तलाश तेज हो गई है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय लोकदल और ओम प्रकाश राजभर को एनडीए के खेमे में लाने की तैयारी पर्दे के पीछे से चल रही है. हालांकि प्रदेश के नेता खुलकर ऐसी संभावनाओं पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं.


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क्या बोले डिप्टी सीएम



यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि ''बीजेपी में कौन आना चाहता है ये केंद्रीय नेतृत्व तय करता है.'' उन्होंने कहा कि ''यूपी पूरी तरह से बीजेपी, कमल और मोदीमय है. 2024 के चुनाव में 2014 का भी रिकॉर्ड टूटेगा. ''
वहीं उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सधा हुआ बयान दिया. उन्होंने ओम प्रकाश राजभर से हुई मुलाकात पर कहा कि ''वह मेरे मित्र हैं. लोकतंत्र में मेल-मुलाकात होता रहता है. सपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यूपी में उनकी क्या स्थिति है, यह सभी को पता है. प्रदेश में उनके साथ लगातार जनाधार घट रहा है. राज्य के लोग गुंडाराज को अभी भूले नहीं है.''


दो दिन पहले सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर से जब  जयंत चौधरी के साथ बीजेपी की नजदीकियां बढ़ने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा ''हमें जानकारी नहीं है अंदर-अंदर हो रहा हो तो इसको नहीं बता सकते हैं.''


जयंत के सियासी चाल पर नजर


दरअसल बताया जा रहा है कि जयंत चौधरी और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर बात हुई. लेकिन बीजेपी उन्हें एक या दो सीट से अधिक देने के मूड में नहीं है. बल्कि राष्ट्रीय लोकदल के बीजेपी में विलय का प्रस्ताव भी दिए जाने की चर्चा है. इस बीच बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय लोकदल ने सपा से बिगड़ते रिश्तों के बीच एक बार फिर गठबंधन की शर्त रख दी है. उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए 12 सीट मांगी है. इसके पीछे उनका तर्क है कि पार्टी को राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए कम से कम 6 फीसदी वोट हासिल करना होगा. 2019 में आरएलडी ने 3 सीट पर चुनाव लड़ा था. लेकिन उसका खाता भी नहीं खुल सका था. 


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विपक्षी दलों की मीटिंग में सबकी नजर
अब आरएलडी के अगले कदम पर सबकी नजर है. देखना ये है कि 17 से 18 जुलाई को कर्नाटक में होने वाली विपक्षी दलों की मीटिंग में क्या जयंत चौधरी मौजूद रहते हैं.