अरविंद मिश्रा/लखनऊ: 25 सितंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है. कोरोना संकट के बाद फेफड़ों को लेकर जागरुकता न सिर्फ बढ़ी है बल्कि इसको लेकर हर आदमी सजग हुआ  है. कोविड-19 महामारी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया आखिरकार लोग सामान्य लाइफ स्टाइल की ओर लौट आए हैं. कोरोना वायरस का सबसे अधिक असर हमारे श्‍वसन-तंत्र पर पड़ा था. यही वजह है कि आज भी लोग फेफड़ों के मामले में कुछ दूसरी गंभीर समस्‍याओं का सामना कर रहे हैं. रेडियोलॉजीकल सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएसएनए) द्वारा प्रकाशित एक दूसरे अध्‍ययन ने पाया है कि जिन बच्‍चों और वयस्‍कों का कोविड-19 ठीक हो चुका है या जिन्‍हें यह लंबे समय तक रहा है, उनकी एमआरआई में फेफड़ों की स्‍थायी क्षति दिखती है.


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कोविड संक्रमितों को सावधान रहने की जरुरत


मेडिकल साइंटिस्ट ने पाया कि 54 बच्‍चों और वयस्‍कों में जिनकी औसत आयु 11 वर्ष थी, फेफड़ों की संरचना और कार्यात्‍मकता में बदलाव देखे गए हैं. 54 मरीजों में से 29 ठीक हो चुके थे और 25 को कोविड लंबे समय तक रहा था. संक्रमण के समय लगभग सभी को टीका नहीं लगा था. दुनिया में करोड़ों लोगों को श्‍वसन-तंत्र के संक्रमण हो रहे हैं. लेकिन भारत विकासशील देश में इनकी व्‍यापकता काफी ज्‍यादा है. जहां शोध, रोकथाम और उपचार के लिए धन सीमित है. इसके अलावा इस असमानता को दूर करने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के सामाजिक और पर्यावरणीय निर्धारकों, जैसे कि तंबाकू का सेवन, वायु प्रदूषण, निर्धनता और जलवायु परिवर्तन पर भी ध्‍यान दिया जाना चाहिये.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पद्मश्री विजेता प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. मुकेश बत्रा के मुताबिक हमारे फेफड़े अस्‍थमा, सीओपीडी या ब्रोंकाइटिस आदि जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशील हैं. कोविड-19 महामारी ने सांस से जुड़ी समस्‍याओं को बढ़ाया है. वह कहते हैं कि स्वस्थ फेफड़ों के लिए जरुरी है कि स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाई जाए. इसके लिए हम सभी को सांस से जुड़े व्‍यायामों करना चाहिए. फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए धूम्रपान से सख्‍ती से बचना होगा. डॉ मुकेश बत्रा के मुताबिक श्वसन से जुड़े रोगों में होम्योपैथी दवाएं विशेष रूप से लाभदायक होती हैं. 


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एक्‍युट रेस्पिरेटरी डिस्‍ट्रेस सिंड्रोम से बचना होगा


अमेरिकन थोरैसिक सोसायटी के एक हालिया अध्‍ययन ने खुलासा किया है कि हो सकता है महामारी से राहत मिली हो, लेकिन उसका प्रभाव फेफड़ों की खराब होती सेहत के रूप में दिख रहा है. कोविड-19 से नीमोनिया जैसी फेफड़ों की बीमारियां हो सकती है. गंभीर मामलों में एक्‍युट रेस्पिरेटरी डिस्‍ट्रेस सिंड्रोम यानी एआरडीएस भी हो सकता है. इसके अलावा, कोविड-19 से होने वाला निमोनिया दोनों फेफड़ों में होता है और ऑक्‍सीजन लेना कठिन बना देता है. इससे सांस छोटी हो जाती है. लगातार कफ और दूसरे लक्षण बने रहते हैं. कोविड से प्रभावित फेफड़े के स्‍वास्‍थ्‍य की भरपाई देखभाल के तरीके और कोविड की तीव्रता पर निर्भर करती है.