Pilibhit Khalistani terrorists Encounter: पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस थानों और चौकियों पर हमलों के आरोपियों पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी आतंकी गुरविंदर, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि व जश्नप्रीत उर्फ प्रताप सिंह को सोमवार को पीलीभीत में मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया. जब इनके शवों को एंबुलेंस ले जा रही थी तो दुर्घटनाग्रस्त हो गई. जानें पुलिस ने इस घटना की क्या बताई सच्चाई
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Pilibhit Khalistani terrorists: पीलीभीत में पंजाब पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त कारवाई में मारे गए ‘खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स’ के तीन संदिग्ध आतंकवादियों के शव लेकर पंजाब जा रही एंबुलेंस को मंगलवार देर रात रामपुर बाईपास पर अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी. पुलिस ने यह जानकारी दी. एक अधिकारी ने बताया कि देर रात हुई इस दुर्घटना की सूचना मिलते ही रामपुर पुलिस ने क्षतिग्रस्त एंबुलेंस से तीनों शव को दूसरी एंबुलेंस से पंजाब के लिए रवाना किया. इस दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ.
पुलिस ने क्या बताई सच्चाई
रामपुर जिले के पुलिस अधीक्षक विद्यासागर मिश्रा ने बताया कि पीलीभीत से तीन संदिग्ध आतंकवादियों के शव पंजाब ले जा रही एंबुलेंस को देर रात रामपुर बाईपास पर किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी जिसके कारण एंबुलेंस क्षतिग्रस्त हो गयी. पीलीभीत के पूरनपुर में सोमवार को पंजाब पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त टीम ने मुठभेड़ में ‘खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स’ के तीन संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था.
देर रात कड़ी सुरक्षा के बीच रवाना हुए तीनों के शव
इससे पहले, पीलीभीत से पोस्टमॉर्टम के बाद रात करीब आठ बजे खालिस्तान समर्थक तीन आतंकियों के शव कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ पंजाब के लिए रवाना किए गए थे. पंजाब के अतिरिक्त पुलिस फोर्स की निगरानी में परिजन शव को लेकर रवाना हुए थे.
सोमवार को पीलीभीत में मुठभेड़ में तीनों आतंकियों की मौत
आपको बता दें कि पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस थानों व चौकियों पर हमलों के आरोपियों पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी आतंकी गुरविंदर, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि व जश्नप्रीत उर्फ प्रताप सिंह को सोमवार को पीलीभीत में मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया. उत्तर प्रदेश पुलिस और पंजाब पुलिस की संयुक्त टीम ने आठ किलोमीटर पीछा कर घेरा तो आतंकियों ने मॉडिफाइड एके-47 राइफल से 13 और ग्लाक पिस्टल से नौ फायर किए. जांच में सामने आया कि तीनों आतंकी ब्रिटेन, कनाडा व पाकिस्तान में बैठे सरगनाओं के संपर्क में थे. उनसे बातचीत के लिए जंगी एप्लीकेशन का उपयोग करते थे जिसका कॉल रिकॉर्ड सर्वर से कुछ ही सेकंड में नष्ट हो जाता है. तीनों को विदेशी फंडिंग की आशंका भी जताई गई है. इनपुट भाषा से भी