लखनऊ: गौरैया संरक्षण आज सबसे बड़ा विषय है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ के समाजसेवी चांद कुरैशी ने गौरैया को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. चांद कुरैशी ने अपने पूरे घर को गौरैया को संरक्षित करने का केंद्र बना दिया है. उनके इस काम की जितनी सराहना की जाए कम है.


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क्या है पेड़ की खासियत 
आपको बता दें कि लखनऊ के महेंदी गंज में रहने वाले समाजसेवी चांद कुरैशी ने पिछले 10 साल से अपने घर को गौरैया को समर्पित कर रखा है. घर के निर्माण के समय ही उन्होंने आर्टिफिशियल पेड़ बनवाए, ताकि गौरैया यहां आएं और उनके घर को अपना घर समझें. दरअसल, आर्टिफिशियल पेड़ में सुराख भी करवाए गए हैं, ताकि गौरैया अपने बच्चों के साथ घोंसला भी बना ले. इसके अलावा चांद कुरैशी गौरैया के लिए सुबह शाम दाने की भी व्यवस्था करते हैं.


बिजली के तारों पर रहती हैं गौरैया मौजूद 
आलम ये है की घर के पास मौजूद बिजली के तारों पर भी बड़ी संख्या में गौरैया मौजूद रहती हैं. रात होने पे इन्हीं पेड़ों में बने घोसलों में चली आती हैं. समाज सेवी चांद कुरैशी ने बताया कि वो पिछले 12 साल से लखनऊ के अपने घर में गौरैया की देखभाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा- ''जब मैंने जब अपना घर बनाया था, तो यह देखकर बनाया था कि गौरैया कैसे आगे बढ़ें, कैसे इनकी देखभाल की जा सके.


जलवायु और चिकित्सा से जुड़ी हुई है गौरैया की महत्ता
आज विश्व गौरैया दिवस है. वहीं, जलवायु परिवर्तन के बीच गौरैया का न होना कहीं ना कहीं बड़ा वैज्ञानिक विषय भी है. चांद कुरैशी ने गौरैया के संरक्षण के फायदे भी बताए.


उन्होंने बताया कि गौरैया प्रजाति को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है. सुबह उठने के साथ अगर गौरैया की चहचहाट आपके कानों में जाए, तो न सिर्फ इससे आपका मानसिक संतुलन ठीक होता है, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षित रहता है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि लखनऊ के जाने-माने चिकित्सक भी यही कहते हैं कि इस तरह की चहचहाहट कहीं न कहीं मानसिक रोगों को दूर करने में सहायक होती हैं.


आपको बता दें कि बात पिछले दिनों की करें, तो गौरैया की संख्या कम हो रही है. ये लुप्त होने के कगार पर हैं. वहीं, कुरैशी की मुहिम पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस क्षेत्र के मकान में चह-चहाती हुई गौरैया लोगों को सुकून देने का काम करती है. सभी गौरैया को पालने, उसे बचाने और उसे संरक्षित करने के लिए आगे आ रहा हैं.


पीएम की मुहिम को समर्थन कर रही चांद की कुटिया
वहीं, देश के प्रधानमंत्री ने भी गौरैया के संरक्षण की बात की हैं. आज विश्व गौरैया दिवस पर चांद कुरैशी की मुहिम कहीं न कहीं प्रधानमंत्री के अभियान को आगे बढ़ाती नजर आ रही है. लोग कुटिया की तरफ आते हैं, तो आर्टिफिशियल पेड़ को देखकर उत्साहित होते हैं.