बुलडोजर कार्रवाई का दंगों से कोई संबंध नहीं, यूपी सरकार का SC में जवाब
16 जून को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका पर यूपी सरकार से जवाब तलब किया था. अब 24 जून को सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर अगली सुनवाई हो सकती है.
अरविंद सिंह/नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर पिछले दिनों की गई बुलडोजर कार्रवाई को सही ठहराया है. सरकार का कहना है कि इस कार्रवाई का पैगम्बर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भड़के दंगों से कोई संबंध नहीं है. दंगो के मामले में अलग से कार्रवाई हुई है. जिन अवैध निर्माण को हटाया गया है, उनको हटाने के लिए बहुत पहले नोटिस जारी कर दिया गया था. बिल्डिंग मालिकों को पूरा समय भी दिया गया, इसके बाद ही उन अवैध निर्माण को हटाया गया है.
'प्रयागराज में कानून सम्मत कार्रवाई हुई'
सरकार ने कहा कि प्रयागराज में जो अवैध निर्माण हटाये गए, वो लोकल डिवेलपमेंट ऑथिरिटी ने हटाये. ये अपने आप में स्वायत्त संस्था है, सरकार के अधीन नहीं है. शहर से अवैध, गैरकानूनी निर्माण को हटाने की कवायद में कानून सम्मत तरीके से ये कार्रवाई हुई है. यूपी सरकार ने अपने जवाब में जेएनयू की छात्र नेता आफरीन के पिता जावेद मोहम्मद के प्रयागराज में मौजूद घर का भी हवाला दिया है. सरकार ने कहा है कि ये घर प्रयागराज डेवेलपमेंट ऑथोरिटी रूल के मुताबिक अवैध निर्माण था. घर को दंगों के बाद जरूर ढहाया गया, लेकिन इसको लेकर कार्रवाई दंगों से बहुत पहले ही शुरू हो गई थी.
जमीयत ने याचिका दायर की थी
यूपी सरकार ने ये जवाब जमीयत उलेमा ए हिन्द की ओर से दायर याचिका के जवाब में दिया है. जमीयत का कहना था कि पैगम्बर मोहम्मद को लेकर नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद यूपी के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए. इसको लेकर दोनों समुदाय में झड़प हुई, लेकिन यूपी सरकार ने सिर्फ एक समुदाय विशेष को टारगेट कर कार्रवाई की. उन्हें दंगाई, गुंडा करार देकर उनके घरों को बुलडोजर से ढहाया गया. सिर्फ दंगों के कथित आरोपियों को ही नहीं, बल्कि उनके घरवालों के घरों को भी ढहा दिया गया.
'जमीयत ने मामले को गलत रंग दिया'
यूपी सरकार का कहना है कि जमीयत ने अवैध निर्माण हटाने की कानून सम्मत कार्रवाई को गलत रंग देने की कोशिश की है. इस मामले में जिन लोगों के घरों को गिराया गया, उनमें से किसी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख नहीं किया है. जमीयत ने सुनी सुनाई बातों के आधार पर याचिका दाखिल की है, ये याचिका खारिज होनी चाहिए.
इससे पहले 16 जून को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका पर यूपी सरकार से जवाब तलब किया था. अब 24 जून को सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर अगली सुनवाई हो सकती है.
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