मयूर शुक्ला/लखनऊ:  सरकारी बस से सफर करने वाले सतर्क हो जाएं क्योंकि प्राइवेट ट्रेवल्स कंपनी वाले आपकी जेब पर डाका डाल रहे हैं. उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग में एक नया घोटाला सामने आया है. कई बार आपने देखा होगा कि जब यूपीएसआरटीसी की वेबसाइट सही से काम नहीं करती तो मजबूरन लोगों को प्राइवेट बस ट्रेवल्स कंपनी से आनन-फानन में महंगा टिकट बुक कराना पड़ता है. यात्रियों को लगता है कि वह एक शानदार प्राइवेट वोल्वो बस में बैठेंगे, लेकिन असल खेल तो यहीं शुरू होता है. यात्री को प्राइवेट बस में नहीं बल्कि यूपीएसआरटीसी की सरकारी बस में बैठाया जाता है और वहां मौजूद सरकारी कंडक्टर भी एक टिकट थमा देता है. 


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प्राइवेट बसों के साथ मिलीभगत
भ्रष्टाचार के इस खेल को आप कुछ इस तरह समझ सकते हैं. मान लीजिए आपको लखनऊ से हल्द्वानी जाना है. आपने गूगल पर बस सर्च की लेकिन यूपीएसआरटीसी की वेबसाइट ना खुलने पर आपने किसी प्राइवेट ट्रैवल्स से टिकट बुक कराया जो कि 1150 रुपये का है जबकि सरकारी बस का किराया 1040 रुपये है. यानी कि आपको मजबूरी में ज्यादा पैसे देने पड़े. उसके बाद जब आप सफर के लिए बस स्टॉप जाएंगे तो आपको वहां पर उस प्राइवेट ट्रैवल्स की बस में नहीं बल्कि यूपीएसआरटीसी की बस में बिठाया जाएगा जो कि सरकारी है. हैरत की बात यह है कि बस में मौजूद सरकारी कंडक्टर भी आपको एक सरकारी टिकट देगा जिस पर किराया नहीं लिखा होगा वह इसलिए कि अगर उसमें सरकारी किराया लिखा होगा जोकि प्राईवेट कंपनी द्वारा लिए गए किराए से कम होगा तो लोग उस पर वाद विवाद करेंगे. 


बड़े अधिकारियों की शह पर भ्रष्टाचार का खेल
प्राइवेट ट्रेवल्स कंपनी के मालिक उच्च अधिकारियों से मिलीभगत कर ये कारनामा कर पा रहे हैं. एक बस जिसमे 40 सीटें हैं उसमें पहले से ही 20 से 25 सीटें प्राइवेट कंपनी के लिए बुक रहती हैं और इसके एवज में अधिकारियों तक मोटा पैसा भी पहुंचाया जाता है. बस स्टॉप में टिकट काउंटर पर मौजूद कर्मचारी ने बताया कि जो टिकट उनके पास से बुक होते हैं उसमे सरकारी रेट से बढ़कर 1 रुपए भी नही लिया जा सकता. हां जो लोग प्री बुकिंग करवाते हैं उनसे चार्ज के तौर पर मामूली शुल्क लिया जाता है जो की सरकारी खजाने में ही जाता है. 
खस्ताहाल हो रही है बसें
भ्रष्टाचार के इस खेल की वजह से राज्य सरकार को जहां राजस्व का नुकसान हो रहा है वहीं मुसाफिरों को सुविधाएं नहीं मिल पाती. यूपीएसआरटीसी की एसी बसों में भी न तो टीवी चलती है ना ही चार्जिंग पोर्ट पर करंट आता है. बस के अंदर के तमाम उपकरण खराब पड़े हैं जिनकी शिकायत करने पर भी उन्हें ठीक नहीं किया जाता. ज़ी मीडिया पर कंडक्टर ने तो यहां तक खुलासा कर दिया की वर्कशॉप में तमाम ऐसी बसे पड़ी हुई है जिनमें मोबिल ना होने के कारण उनका संचालन नहीं हो पा रहा है. 


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आरएम की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इन सभी अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार के पीछे लखनऊ के आरएम पल्लव बोस की लापरवाही उजागर हुई है जोकि मनमाफिक तरीके से काम करते हैं.  परिवहन विभाग से रिटायर्ड पूर्व यातायात अधीक्षक प्रमोद त्रिपाठी ने पल्लव बोस के बारे में बताया कि यह जितने भी घोटाले होते हैं सारी जानकारी आरएम को रहती है लेकिन फिर भी सांठगांठ के चलते कोई कार्यवाही नहीं होती. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पल्लो बॉस जब गाजियाबाद में पोस्टर थे तो वहां पर मनमाफिक तरीके से लोगों की नियुक्ति की और अवैध रूप से बसें भी चलवाई उसकी भी जांच होनी चाहिए. ज़ी मीडिया लगातार जनता के पैसे पर मौज कर रहे अधिकारियों का खुलासा कर रहा है और विभागों की अव्यवस्थाओं को उजागर कर रहा है. अब देखना ये है कि ट्रांसपोर्ट विभाग के इस घोटाले पर संबंधित मंत्री और अधिकारी क्या कुछ कार्रवाई करते हैं यह या फिर भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहेगा.


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