ZEEL-Invesco Case: ज़ी एंटरटेनमेंट पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा करने की कोशिश कर रहे इन्वेस्को का पर्दाफाश हुआ है. ZEEL के MD और CEO पुनीत गोयनका ने इन्वेस्को के दोहरे मापदंड को बोर्ड के सामने रखा है. 12 अक्टूबर 2021 को हुई बोर्ड के निदेशक मंडल की एक मीटिंग में पुनीत गोयनका ने एक प्रजेंटेशन दिया है. इन्वेस्को के प्रतिनिधि से साथ फरवरी 2021 में हुई बातचीत को उन्होंने बोर्ड के सामने जाहिर कर दिया है. पुनीत गोयनका ने BSE और NSE को भी इस मामले में एक लेटर भेजा है. 


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इन्वेस्को मामले पर ZEEL बोर्ड की बैठक
पुनीत गोयनका ने इन्वेस्को के दोहरे मानदंडों को एक्सपोज किया है. उन्होंने अपने लेटर में साफ किया कि इन्वेस्को प्रतिनिधियों ने उन्हें एक स्ट्रैटेजिक ग्रुप के साथ मर्जर की पेशकश की थी. इस बातचीत में इन्वेस्को की तरफ से अरुण बलोनी और OFI ग्लोबल चाइना फंड के भवतोश वाजपेयी भी शामिल थे. दोनों ने पुनीत गोयनका के सामने भारत के एक बड़े 'स्ट्रैटेजिक ग्रुप' के साथ मर्जर की पेशकश रखी थी. 'स्ट्रैटेजिक ग्रुप' का वैल्यूएशन बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया था. 


डील से निवेशकों को होता 10 हजार करोड़ का नुकसान
पुनीत गोयनका ने बताया कि डील से ZEEL के निवेशकों को 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है. प्रोमोटर्स को मर्ज एंटिटी में 3.99% का हिस्सा ही मिलता. पुनीत गोयनका को 4% का मर्ज एंटिटी में ESOP मिलता. नई एंटिटी में भी पुनीत गोयनका को MD&CEO बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. गोयनका ने बताया कि अगर सौदा होता तो रणनीतिक समूह के पास मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी होती. इन्वेस्को की तरफ से यह प्रस्ताव भी रखा गया था कि पुनीत गोयनका को ही MD और CEO के रूप में नियुक्त किया जाएगा.


इन्वेस्को ने दिया गोयनका को ऑफर
बोर्ड नोट के मुताबिक, इन्वेस्को ने प्रस्ताव रखते हुए जोर देकर कहा था कि मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी का ऑपरेशंस और बिजनेस का नेतृत्व पुनीत गोयनका करेंगे. इन्वेस्को ने माना था कि गोयनका की एक्सपर्टीज और प्रोफेशनल कैपेबिलिटी के चलते उनका ही MD औ CEO पद पर रहना सर्वोपरी रहेगा. 


पुनीत गोयनका की तरफ से BSE-NSE को भेजा गया पूरा लेटर यहां पढ़िए...


इन्वेस्को के पीछे कोई और?
ZEEL की तरफ से जारी लेटर के मुताबिक, पुनीत गोयनका ने डील में कुछ गवर्नेंस के मुद्दों (खासकर स्ट्रैटेजिक ग्रुप की वैल्यूएशन को लेकर) को भी उठाया था. इनवेस्को ने यह भी कहा था कि डील उनके साथ या उनके बिना भी पूरी हो सकती है. लेकिन, इन्वेस्को का मानना ​​था कि विलय के बाद बनने वाली कंपनी का नेतृत्व करने के लिए पुनीत गोयनका ही सबसे उपयुक्त हैं और उनकी अनुपस्थिति शेयरधारकों मूल्य को कम कर देगी. इन्वेस्को ने बार-बार गोयनका को याद दिलाया कि अगर उन्होंने सौदे को आगे बढ़ाने से इनकार किया, तो उन्हें और उनके परिवार को नुकसान होगा.


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