देहरादून: कोरोना वायरस के चलते मौजूदा आर्थिक संकट को देखते हुए कई राज्यों की सरकारों ने विधायकों के वेतन और भत्ते में 30 फीसदी कटौती का ऐलान किया था. कुछ राज्यों में तो आधिकारिक तौर पर इसकी शुरुआत हो भी गई है लेकिन उत्तराखंड में अब भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों की सहमति नहीं मिल सकी है. 


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विपक्ष ने कहा, 'हमसे नहीं किया संवाद'
कोरोना संक्रमण को लेकर वेतन-भत्तों में कटौती पर सवाल पूछे जाने पर उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि 'जब वेतन भत्ता हमारा कटना है तो हमसे संवाद भी स्थापित किया जाना चाहिए.' उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र सरकार हिटलरशाही की तरह काम कर रही है. यही वजह है कि कांग्रेस के विधायकों ने वेतन भत्तों में कटौती के कैबिनेट के फैसले पर अपनी सहमति नहीं दी है.


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नेता प्रतिपक्ष रायशुमारी के बाद लेंगी फैसला
सरकार पर तंज कसते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि, 'आप हमसे बात भी नहीं करेंगे और विधायकों की विधायक निधि का 1 करोड़ रुपये भी काट दिया जाएगा'. वेतन भत्ते की कटौती के मुद्दे पर कांग्रेस का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश कांग्रेस विधायकों से रायशुमारी के बाद ये तय करेंगी की कांग्रेस को आगे क्या करना है.


BJP ने भी किया पलटवार


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री वीरेंद्र बिष्ट ने कहा कि कांग्रेस के आरोप निराधार हैं , कांग्रेस ने कभी भी रचनात्मक विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई. कांग्रेस हमेशा ही हर विषय पर राजनीति करती है. उन्होंने कांग्रेस पर  जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस के विधायकों को वेतन भत्ते में कटौती के प्रस्ताव पर उन्हें सहमति दे देनी चाहिए थी.


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