देहरादून, (राम अनुज): दो मार्च से प्रदेश में बोर्ड की परीक्षा शुरू होने जा रही है, जिसको लेकर जहां विभाग तैयारियों में जुटा है. वहीं, वेतन-भत्ता और एसीपी जैसी मांगों को लेकर शिक्षा विभाग के कर्मचारी और शिक्षक आंदोलन करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. कर्मचारियों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने शिक्षा विभाग में एस्मा लगा दिया है. दरअसल, शिक्षक संघ ने कई कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर महासंगठन बनाकर सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं. इसके लिए अहम बैठक 22 जनवरी को हुई, जिसमें 23 कर्मचारी संगठनों ने हिस्सा लिया कर्मचारी संगठनों ने 31 जनवरी को पूरे प्रदेश में सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है. जबकि 27 जनवरी से 5 फरवरी तक प्रदेश में प्री-बोर्ड की परीक्षा होने जा रही है. शिक्षकों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने शिक्षा विभाग में एस्मा लागू कर दिया है. अब शिक्षक 6 महीने तक किसी तरह का आंदोलन नहीं कर सकते हैं. 


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शिक्षा सचिव ने एस्मा लगाने का जारी आदेश
विभागीय सचिव भूपिंदर कौर औलख ने 24 जनवरी को शिक्षा विभाग में एस्मा लगाने की आदेश दिए हैं. 4 फरवरी को शिक्षकों ने परेड ग्राउंड में होने वाली एक आम सभा में हिस्सा लेने का ऐलान किया है. अधिकारी कर्मचारी कार्मिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह का कहना है कि काफी लंबे समय से सरकार के साथ एसीपी, भत्ता व वेतन विसंगति जैसी मांगों को लेकर चर्चा चल रही है. मगर अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है. ऐसे में शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने अब कोई रास्ता नहीं बचता है, ऐसे में कर्मचारियों को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. फिलहाल, शिक्षा विभाग के कर्मचारी और शिक्षक 6 महीने तक आंदोलन नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सरकार ने एस्मा लगा दिया है.


स्वास्थ्य विभाग में पहले ही सरकार लगा चुकी है एस्मा
प्रदेश में कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए बार-बार आंदोलन करते हैं और उत्तराखंड हड़ताली प्रदेश के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में हो रहे नर्स, फार्मासिस्ट मिनिस्टीरियल कर्मचारी और डॉक्टर्स की हड़ताल को देखते हुए सरकार पहले ही एस्मा लगा चुकी है. 6 महीने तक स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी, डॉक्टर्स किसी तरह का आंदोलन नहीं कर सकते हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि कर्मचारियों को हर संभव सरकार सत्ता दे रही है. उनकी हर मांगों के बारे में सरकार गंभीरता के साथ विचार कर रही है. 


सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि सरकार ने हाल में आवासीय भत्ता में जो इजाफा किया है. उससे कर्मचारी नाखुश है. सरकार ने हाल में 5 फ़ीसदी, 7 फ़ीसदी और 9 फीसदी भत्ता बढ़ाया है, जबकि कर्मचारी 12, 14 और 16 फ़ीसदी भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, साथ में कई विभागों के कर्मचारी अब केंद्रीय कर्मचारियों के सामान भी सत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. 


कर्मचारी संगठनों पर कसेगा शिकंजा  
ऐसे में सरकार के सामने चुनौती बन रहे शिक्षक डॉक्टर्स की हड़ताल पर सरकार एस्मा लगा कर दूसरे कर्मचारी संगठनों को दे रहीं है कि सिर्फ अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने वालों कर्मचारियों के सामने झूकने वाली नहीं है. फिलहाल, अब देखना होगा सरकार आंदोलन की हुंकार भरने वाले कर्मचारी संगठनों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई करती है.