देहरादून: उत्तराखंड सरकार किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत करने जा रही है. उत्तराखंड सरकार ने अब बड़े व्यापारियों के लिए उत्तराखंड के कृषि क्षेत्र में आने के रास्ते खोल दिए हैं. राज्य सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मॉडल एक्ट को मंजूरी दे दी है. सरकार का दावा है कि इसमें किसानों के हितों का ध्यान रखने की कोशिश की गई है. राज्य सरकार ने कई ऐसे क्लॉज रखे हैं जिससे कांट्रेक्टर किसी भी तरह किसानों के साथ धोखाधड़ी ना कर सके.


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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बनाया फायदे का सौदा 
अभी तक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मैं किसानों को तब नुकसान होता था जब फसल का मूल्य बाजार भाव से कम हो जाता था. लेकिन अब राज्य सरकार की तरफ से बनाए गए नए कानून के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत ठेकेदार को एक तय राशि या फसल किसान से खरीदनी ही होगी. राज्य में इससे पहले लीस फार्मिंग भी चल रही है. लीज फार्मिंग में पूरा का पूरा खेत एक ठेकेदार ले लेता है और अपने मन मुताबिक फसल का उत्पादन करता है. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ऐसा नहीं है, फसल उत्पादन का पूरा जिम्मा किसान का ही होता है. जबकि ठेकेदार सिर्फ फसल खरीद कर बेचने का काम करता है. 


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लीज फार्मिंग में भी सुधार 
राज्य सरकार ने लीज फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए भी संशोधन किया है. अब राजस्व खातों में ठेकेदार या लीज होल्डर का नाम स्पष्ट रूप से "लीज होल्डर" ही लिखा जाएगा. इससे किसान की जमीन पर अनावश्यक कब्जा नहीं हो सकेगा. राज्य सरकार को उम्मीद है कि लीज फार्मिंग के साथ-साथ अब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से भी किसानों की आमदनी के बढ़ने की उम्मीद है.


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