देहरादून, (संदीप गुसाईं): उत्तराखंड में अवैध खनन राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती रही है. देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर और नैनीताल जिलों में हर साल करोड़ों की कर चोरी अवैध खनन से होती है. राज्य सरकार को पट्टे खनन के लिए जारी करती है और उसके अलावा भी बड़े स्तर पर अवैध खनन होता है. तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य सरकार अवैध खनन को रोकने में नाकाम साबित होती रही है. लेकिन, अब राज्य सरकार अवैध खनन करने वालों पर सेटेलाइट से नजर रखने जा रही है और इसके लिए मुख्य सचिव ने उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र को ये जिम्मेदारी सौंपी है. 


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उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र इसकी शुरुआत देहरादून की सौंग नदी से करने जा रहा है. अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र के निदेशक डॉ एमपीएस बिष्ट ने कहा कि इसके लिए एक एप भी विसकित किया गया है. जिन क्षेत्रों में खनन के पट्टे जारी किए गए हैं, उनकी सेटेलाइट तकनीक से नजर रखी जाएगी. दिन हो या रात किसी भी समय अवैध खनन को पकड़ लिया जाएगा. अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र इसके लिए डिजिटल फेंसिग का उपयोग करेगा ताकि जो क्षेत्र खनन के लिए आबंटित किए गए हैं, उन पर सीधे सेटेलाइट से नजर रखी जाएगी और इसमें हर गतिविधि रिकार्ड होती रहेगी. केन्द्र के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने कहा कि डिजिटल फेंसिंग से कोई भी अवैध खनन करते हुए पकड़ा जाएगा. 


आपको बता दें कि साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने प्रदेश के चार प्रमुख जिलों नैनीताल, उधमसिंहनगर, हरिद्वार और देहरादून में अवैध खनन को रोकने के लिए एंटी माइनिंग विजिलेंस फोर्स का गठन किया था. इसके बाद कई खनन क्षेत्रों में एंटी माइनिंग फोर्स ने ताबड़तोड़ छापे भी मारे और करोड़ों की टैक्स चोरी को पकड़ा था. 


बीजेपी ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में अवैध खनन को बड़ा मुद्दा बनाया और जैसे ही त्रिवेंद्र सरकार ने सत्ता संभाली तो सीएम त्रिवेंद्र ने फौरन चुनाव के दौरान जारी किए गये पट्टे, स्टोन क्रेशर के लाइसेंस को रद्द करने का आदेश दे दिए. पिछले वर्ष राज्य सरकार ने खनन में पादर्शिता लाने के लिए खनन पट्टों की ई निलामी भी की गई. इसके बावजूद अवैध खनन का धंधा जोरों से चल रहा है. इससे सबसे बड़ी समस्या यूपी और हिमाचल के बार्डर क्षेत्रों में होती है.