TB Medicine by Drone: उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों के मरीजों के उपचार के लिए अब एम्स ऋषिकेश से ड्रोन के जरिए दवा पहुंचाई जा सकेगी. गुरुवार को एम्स से टिहरी स्थित जिला चिकित्सालय दवा पंहुचाकर इसका सफल ट्रायल किया गया. देश का यह पहला एम्स है, जो इस तकनीक का उपयोग कर जरूरतमंदों तक आवश्यक दवा पहुंचाएगा. 


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सफल ट्रायल  रहा 
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश ने गुरुवार को मेडिकल के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित कर ड्रोन द्वारा दवा पंहुचाने में सफलता पाई. इस ट्रायल द्वारा टीबी के मरीजों के लिए टिहरी जिला चिकित्सालय में दवा भेजी गई. 


सड़क मार्ग से लगता है 3 घंटे का समय 
एम्स के हेलीपैड से टिहरी के बौराड़ी स्थिति जिला चिकित्सालय तक पंहुचने में सड़क मार्ग से लगभग 3 घंटे का समय लगता है. ड्रोन ने यह दूरी 29 मिनट में पूरी की है. एम्स से दवा लेकर ड्रोन सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर उड़ा था और 11 बजकर 14 मिनट पर टिहरी में लैंड हो चुका था. 


3 किलो भार ले जाने में सक्षम 
वापसी में इसने टिहरी जिला चिकित्सालय से 11 बजकर 44 मिनट पर उड़ान भरी और यह 12 बजकर 15 मिनट पर एम्स में हेलीपैड पर सकुशल लैंड हो गया. प्रति घंटा 120 किमी की गति से उड़ने वाले इस यह ड्रोन 3 किलो भार ले जा सकता है. ड्रोन का अपना वजन 16.5 किलोग्राम है और एम्स से जिला चिकित्सालय की हवाई दूरी लगभग 36 किमी है. 


देश का पहला एम्‍स बन गया 
एम्स ऋषिकेश के हेलीपैड से टिहरी तक 36 किलीमीटर की यह हवाई दूरी ड्रोन ने 29 मिनट में पूरी की. एम्स ऋषिकेश से टीबी के मरीजों को ड्रोन से दवा भेजने का यह ट्रायल पूर्णतः सफल रहा. ड्रोन से दवा भेजने की शुरुआत करने वाला एम्स ऋषिकेश अब देश का पहला एम्स बन गया है.


टीबी मुक्‍त भारत अभियान को सफल बनाएगा 
इस मौके पर एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. मीनू सिंह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में यह सुविधा विशेष लाभदायक सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है. 


समय रहते इलाज मिल सकेगा
उन्‍होंने कहा कि पहाड़ के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बीमार लोगों तक इस माध्यम से दवा पंहुचाकर उनका समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा इस सुविधा से आपात स्थिति में फंसे लोगों तक भी तत्काल दवा अथवा इलाज से संबंधित मेडिकल उपकरण पंहुचाए जा सकेंगे. 


जरूरतमंदों तक आसानी से पहुंचेगी दवा 
डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के घायल हो जाने अथवा गंभीर बीमार हो जाने की स्थिति में, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फंसे जरूरतमंदों तक दवा पहुंचाने तथा दूरस्थ क्षेत्रों से एम्स तक आवश्यक सैंपल लाने में इस तकनीक का विशेष लाभ मिलेगा. इसके अलावा आंखों की कार्निया के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में भी इस तकनीक का उपयोग कर समय की बचत की जा सकेगी. 


चारधाम यात्रियों को मिलेगी सहूलियत 
बता दें कि चारधाम यात्रा के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते कई तीर्थयात्रियों को तत्काल दवा अथवा मेडिकल उपकरणों की आवश्यकता पड़ जाती है. इसके अलावा पैदल यात्रा के दौरान कई लोग हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक तथा अन्य स्वास्थ्य कारणों के चलते गंभीर अवस्था में बीमार हो जाते हैं. ऐसे में एम्स ऋषिकेश की यह सुविधा उन्हें तत्काल दवा पंहुचाने में कारगर सिद्ध हो सकती है. 


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