Gyanvapi Mosque Survey: इलाहाबाद हाईकोर्ट में सर्वे पर सुनवाई है. सर्वे की सुनवाई पर नई बेंच का गठन किया गया है. मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक की मांग की है. वाराणसी जिला जज के फैसले के खिलाफ दाखिल रिट पिटिशन पर कल सुनवाई होगी. जस्टिस जयंत बनर्जी की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई होगी. जिला जज के एएसआई सर्वे के खिलाफ रिट पिटीशन दाखिल की गई है.जिला जज ने ज्ञानवापी विवादित परिसर का एसआई सर्वे का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.


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वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में एएसआई की टीम ने सर्वे किया. इस दौरान एएसआई की चार टीमों ने अलग-अलग जगहों पर सर्वे किया. ASI की टीम में पश्चिमी दीवार के पास,गुंबदों का सर्वे,मस्जिद के चबूतरों का और परिसर का सर्वे किया. ये सर्वे करीब चार घंटे तक चला. हालांकि मुस्लिम पक्ष की ओऱ से सर्वे को रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद इस सर्वे को रोक दिया गया. SC ने 26 जुलाई तक रोक लगा दी है. मुस्लिम पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में अपील की जाएगी. आज ज्ञानवापी सर्वे के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है.


हिन्दू पक्ष चलाएगा जनजागरण अभियान
वाराणसी -ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष  जनजागरण अभियान चलाएगा. इस अभियान की शुरुआत 30 जुलाई से होगी. आदि विश्वेश्वर मंदिर का मॉडल जेम्स प्रिंसेफ के नक्शे को आधार बनाकर तैयार किया गया. हिन्दू पक्ष पिछले सर्वे में मिले फोटो और नक्शे के साथ जनता के बीच जाएगा.आज काशी में इसे लेकर बड़ी बैठक है.


इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल
प्रयागराज ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की गई है.इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष ने दो कैविएट दाखिल की हैं. एक आर्टिकल 227 और दूसरी सिविल revision में कैविएट दाखिल हुई है. हिंदू पक्ष की तरफ से चार पक्षकार शामिल हैं. इन पक्षकारों में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने कैविएट दाखिल की है. वाराणसी जिला अदालत द्वारा 21 जुलाई को दिए गए ASI के सर्वे पर आदेश से पहले हिंदू पक्ष को सुना जाए. अधिवक्ता प्रभाष पांडेय के माध्यम से कैविएट दायर की गई है.


चार पक्षकारों की तरफ से कैविएट दाखिल
हिंदू पक्ष की तरफ से चार पक्षकारों में शामिल लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने दाखिल की कैविएट, वाराणसी जिला अदालत द्वारा 21 जुलाई को दिए गए ASI के सर्वे पर आदेश से पहले हिंदू पक्ष को सुना जाए, अधिवक्ता प्रभाष पांडेय के माध्यम से दायर की कैविएट दाखिल की गई है.


मुख्य वादिनी राखी सिंह की ओर से इलाहाबाद HC में कैविएट दाखिल
श्रृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष की मुख्य वादिनी राखी सिंह की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की गई थी. अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से कैविएट पेटीशन ई-फाइलिंग मोड से दाखिल किया गया था. मुख्य वादिनी राखी सिंह ASI सर्वे के समर्थन में हैं, इस वजह से हाईकोर्ट में उनके द्वारा कैविएट इसलिए दायर किया गया. ये कैविएट सोमवार asi सर्वे शुरू होने के समय ही दाखिल कर दिया गया था.


वाराणसी-हिन्दू पक्ष ने बैठक बुलाई
हिन्दू पक्ष ने आज बैठक बुलाई है. ये बैठक चौकाघाट क्षेत्र में बुलाई गई है. इसके मुख्य पैरोकार सोहनलाल हैं. सर्वे को लेकर आज मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट में अपील करेगा. इसके अलावा हिन्दू पक्ष इस पर अपनी रणनीति तैयार करेगा.


प्रयागराज-ज्ञानवापी विवाद मामला
एएसआई सर्वे आदेश और सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच में मामले की सुनवाई होगी. 8 अप्रैल 2021 को वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे का आदेश दिया था.


वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती
मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. सिविल वाद की वैधता को लेकर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल है. दोपहर 12 बजे से जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच मामले में सुनवाई करेगी. नवंबर 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. जून 2023 में कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर दुबारा सुनवाई का फैसला लिया, अब आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले में महत्वपूर्ण सुनवाई होगी. स्वयंभू आदि विशेश्वर नाथ मंदिर है हिंदुओं की तरफ से पक्षकार है.


सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
जिस समय (सोमवार) वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे चल ही रहा था, इधर दिल्ली में सर्वे को चैलेंज करती मुस्लिम पक्ष की याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी थी. उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट  ने कहा, “हम याचिकाकर्ताओं को संविधान के अनुच्छेद-227 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए और उचित सुनवाई के लिए वाराणसी के विद्वान जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने के वास्ते उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति देते हैं।” कोर्ट ने कहा कि हमारी राय है कि याचिकाकर्ताओं को उचित राहत देने के अनुरोध को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए।”


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