नया जोशीमठ बसाएगी उत्तराखंड सरकार, बारिश और बर्फबारी के बीच प्रभावित परिवारों को मिलेंगी तमाम सुविधाएं
Joshimath Crisis: जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों का पता लगाने और उपचार की दिशा तय करने के लिए IIT रुड़की, CBRI, वाडिया भूविज्ञान संस्थान और जीएसआइ समेत आठ एजेंसियां अध्ययन में जुटी हुई हैं.
Joshimath Crisis: उत्तराखंड में जोशीमठ के निवासियों के लिए आने वाले चार दिन और भी बहुत कठिन रहने वाले हैं. यहां के निवासी पहले से ही भूस्खलन से बेघर हो रहे हैं. ऊपर से मौसम विभाग ने जोशीमठ, चमोली और पिथौरागढ़ में 19, 20, 23 और 24 जनवरी को बारिश और बर्फबारी की संभावना जताकर चिंता और बढ़ा दी है. मौसम विज्ञानी के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के पैटर्न में बदलाव के कारण राज्य में मौसम में बदलाव देखे जा सकते हैं. जोशीमठ आपदा पर उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्थायी तौर पर पुनर्वासित करने का निर्णय लिया है.
पीपलीकोट में स्थायी तौर पर पुनर्वासित
जोशीमठ आपदा पर राज्य सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्थायी तौर पर पुनर्वासित करने का निर्णय लिया है. बहुत से फैब्रिकेटेड बनाए जाएंगे. एक सप्ताह में तैयार मॉडल दिखाकर आगे काम किया जाएगा. सीबीआरआई के द्वारा बताया गया है पीपलकोटी में जो जमीन देखी गई है वह भूमि सही है.पीपलकोटी में 125 परिवारों के लिए जगह है. सीबीआरआई लीड एजेंसी है उसका काम चलता रहेगा. गौर हो कि जोशीमठ में साढे 800 से ज्यादा प्रभावित परिवार राहत शिविरों में ठहराए गए हैं. वहीं असुरक्षित हो चुके घरों से परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का क्रम अभी भी जारी है. दरारों के कारण जेपी कालोनी के 15 भवनों तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
जांच एजेंसियों के लिए समय सीमा तय
जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों का पता लगाने और उपचार की दिशा तय करने के लिए IIT रुड़की, CBRI, वाडिया भूविज्ञान संस्थान और जीएसआइ समेत आठ एजेंसियां अध्ययन में जुटी हुई हैं. मंगलवार को प्रदेश सरकार ने इन सभी की जांच रिपोर्ट के लिए समय सीमा तय कर दी है. इतिहास पर नजर डालें तो सामने आता है कि यह पूरा क्षेत्र वर्ष 1970 में बड़ी त्रासदी झेल चुका है.
जोशीमठ में 23 और घरों में दरारें आ गईं. मंगलवार तक सर्वे टीम ने 849 घरों को दरारों वाला क्रॉस मार्क लगाया. इनमें से 155 निजी भवन और 10 व्यापारिक प्रतिष्ठानों को पूरी तरह से असुरक्षित माना गया. इस कारण अभी तक इनमें रहने वाले 237 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित कर दिया गया है.
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