पुष्कर चौधरी/चमोली: कहते हैं दिल में भगवान के प्रति सच्ची आस्था हो,और उस ईश्वर के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी मंजिल असम्भव नहीं है. इस तरह का व्यक्ति अपनी दृढ इच्छाशक्ति से बड़ी से बड़ी मंजिल को बोना बना देता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले हरभवान सिंह ने.


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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले हर भवान सिंह की हेमकुंड के प्रति अथाह आस्था है. जबकि हर भवान सिंह के दोनों पैर नहीं हैं. दिव्यांग होने के बावजूद 15225 फीट पर स्थित सिक्खों के सबसे पवित्र और ऊंचा तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब पैदल जाने का जुनून है. और ऊपर से रास्ते में मानसून की दुश्वारियां ,इन सबने हर भवान सिंह की जमकर परीक्षा ली लेकिन हर भवान की दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने ये दुश्वारियां भी बौनी साबित हुई. 



वास्तव में भगवान की हर भवान सिंह पर बड़ी कृपा है. उन्होंने गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब की खतरनाक चढ़ाई को बौना साबित कर दिया. घांघरिया से ऊपर अच्छे खासे श्रदालुओं को पैदल जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बाबजूद इसके हर भवान सिंह ने हार नहीं मानी और आखिरकार हेमकुंड साहिब पहुंचकर हेमकुंड सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई और दरबार साहिब में मत्था टेका और वाहेगुरु का धन्यवाद किया. 



उत्तराखंड (Uttarakhand) में स्थित श्री हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) जी  दशम गुरु श्री गोविंद सिंह जी का तपोस्थान है. इस स्थान को सिख तीर्थों में सबसे कठिन माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक गोविंद सिंह जी ने यहां बरसों तक ध्यान साधना और शिवजी की आराधना की थी. जिसकी वजह से यह स्थान पवित्र माना जाता है. हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. हेमकुंड साहिब अपनी सुंदरता के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है. बता दें, हेमकुंड गुरुद्वारा करीब 6 महीने बर्फ से ढका रहता है.