योगेश/बागेश्वर: बागेश्वर में फूल की खेती से किसानों की किस्मत बदल रही है, कम लागत और अधिक मुनाफे की वजह से किसानों का रुझान लगातार  फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है. बागेश्वर में फूलों से किसान अपनी किस्मत चमका रहे हैं. फूलों की पैदावार के साथ मुनाफे में भी वृद्धि हुई हैं. 


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कई लोगों को खेती घाटे का सौदा लगती है, इसलिए ज्यादातर लोग इससे दूर भागते हैं, लेकिन खेती किसी भी फसल की हो, यदि अच्छी तरीके से की जाए तो अच्छी आमदनी कमाई जा सकती है. इस बात को बागेश्वर के किसान सही साबित कर रहे हैं. बागेश्वर में 20 से 30 किसान अब फूलों की खेती कर रहे हैं.  फूलों की खेती से एक काश्तकार दो से तीन महीने में ही करीब एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई कर रहा है. त्योहारों पर कारोबार अच्‍छा रहता है. इसके अलावा शादी और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए भी जिले में पर्याप्त मात्रा में फूल उपलब्ध रहते हैं.


पलायन ,बेरोजगारी और कई समस्याओं के लिए सुर्खियों में रहने वाला छोटा सा पहाड़ी  जिला फूलों की खेती से अपनी तस्वीर बदल रहा है. बागेश्वर के छाती निवासी काशत्कार भारतेन्दु चौबे कहते हैं कि  परंपरागत गेहूं-धान से इतर  फूलों की खेती शुरू की. पहले जहां परम्परागत फसल उगाने के लिए तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. वहीं अब दो से तीन हजार  रुपये प्रतिदिन की आमदनी करते हैं. उनसे प्रेरणा लेकर कई किसान इस दिशा में आगे बढ़े हैं. इसी तरह गोगिना पानी निवासी संतोष गेंदा के फूल की खेती करीब दो साल से कर रहे हैं.


खाद-बीज के लिए धनराशि को लेकर दिक्कत में फंसे रहने वाले संतोष अब हर दिन  हजार -दो हजार  तक कमाई कर लेते हैं। उनकी आर्थिक हालत सुधर गई है। दोनों किसाना बताते है कि उनके फूलों की खासी डिमांड रहती है।त्योहार ,शादी-विवाह के सीजन में बागेश्वर, अल्मोड़ा , नैनीताल,हल्द्वानी, देहरादून, मेरठ, बरेली आदि तक उनके फूलों की डिमांड रहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के संकल्प का बागेश्वर के किसानों में व्यापक असर नजर आ रहा है.


जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह का कहना है कि जनपद में बीस से तीस किसान फूलों की खेती कर रहे हैं. एक काश्तकार फूलों की बिक्री से एक से डेढ़ लाख रूपये तक कमा रहा है. त्योहारों पर कारोबार अधिक रहता है. कई बेरोजगार युवा भी फूलों की खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं.