सतीश कुमार/काशीपुर: उत्तराखंड के कई जिलों में लोग जंगली जानवरों (Wild Animals) का आतंक झेल रहे हैं, वहीं जंगली जानवर भोजन न मिल पाने के कारण शहरी इलाकों का रुख कर रहे हैं और मारे जा रहे हैं. काशीपुर जिले की सड़कों पर इन दिनों मौत मंडरा रही है. इससे लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं. लोगों ने अपने पालतू जानवरों को अब घर के अंदर कैद करना शुरू कर दिया है और अपने बचाव के लिए गुहार लगा रहे हैं. यहां गुलदार (Guldar) इतने खूंखार हो गए हैं कि आपस में एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं. बुधवार सुबह एक गुलदार ने दूसरे गुलदार को मौत के घाट उतार दिया.


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रिहायशी इलाकों में जंगली जानवरों का कहर


दरअसल, जंगल की एक अपनी दुनिया होती है. यहां बिग कैट फैमिली के तीन सदस्य टाइगर, लेपर्ड और चीता अपनी दहशत से जंगलों पर राज करते हैं. जब यह शिकारी जानवर जंगलों को छोड़कर रिहायशी इलाकों में अपनी दस्तक देते हैं तो लोग खौफ के साए में जीने को मजबूर हो जाते हैं. जंगली जानवरों और इंसानों के लिए कानून बनाया गया और इसकी हिफाजत की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों को दी गई है, लेकिन इन दिनों अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर नजरअंदाजी जिसके चलते क्षेत्र में जंगली जानवरों का आतंक बना हुआ है.


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एक-दूसरे के खून के प्यारे हुए जंगली जानवर


जानकारी के मुताबिक लगभग एक साल से ज्यादा समय से काशीपुर के द्रोण सागर में जानवरों का खौफ है. यहां जंगली जानवर पालतू जानवरों को अपना शिकार बनाने से नहीं चूकते, लेकिन काशीपुर रेंजर की नजरों में न तो इंसानों की जिंदगी की कोई कीमत है न ही गुलदार की जिंदगी की. लंबे समय से यहां गुलदार का डर बना हुआ है. गुलदार कब किस पर हमला कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता. यहां गुलदार इतने खूंखार हो गए हैं कि आपस में एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं. बुधवार सुबह एक गुलदार ने दूसरे गुलदार को मौत के घाट उतार दिया. इतनी घटनाएं होने के बाद भी अफसर दफ्तर में बैठकर आराम फरमा रहे हैं, न ही गुलदारों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है न ही इंसानों को बचाने की कोई ठोस रणनीति तैयार की जा रही है.


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