Lakshman Jhoola in Uttarakhand : गुजरात के मोरबी (Morbi)  में ब्रिज टूटने की घटना के बाद उत्तर प्रदेश औऱ उत्तराखंड की सरकारें भी सतर्क हो गई हैं. पुराने पुलों की स्थिति पर 15 दिन में रिपोर्ट तलब की गई है. हालांकि उत्तराखंड में ऐसा ही 100 साल पुराना लक्ष्मण झूला पुल पहले ही बंद कर दिया गया था, इसे बंद करने का भारी विरोध हुआ था, लेकिन उसकी जगह करीब एक किलोमीटर दूरी पर सस्पेंशन ब्रिज जानकी सेतु (Janaki Setu) बनाया गया. यह पौड़ी और टिहरी के बीच सुरक्षित रास्ता मुहैया कराता है.लक्ष्मण झूला की जगह बजरंग सेतु भी अगले साल से काम करने लगेगा. यह कठोर कांच से बना पुल है. विशेषज्ञ समिति ने लक्ष्मण झूला को जोखिम भरा बताया था, लोक निर्माण विभाग (PWD department) ने भी इसे खतरनाक श्रेणी में रखा था.


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Bajrang Bridge 2 जनवरी 2022 को शुरू हुआ था और जुलाई 2023 तक वो पूरा हो जाएगा. यह 8 मीटर चौड़ा औऱ 132.30 मीटर लंबा कठोर कांच का पुल है, जिसकी लागत 68 करोड़ रुपये है. यूपी लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु का कहना है कि उत्तराखंड में पुल और वैली ब्रिजों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब कर ली गई है. 15 दिन के भीतर पूरी रिपोर्ट भी मांगी है.


सुधांशु का कहना है कि ऋषिकेश 2019 में स्थित लक्ष्मण झूला पुल की खतरनाक हालत सामने आई थी. लक्ष्मण झूला पुल पर भी आवागमन रोक दिया गया था. रुड़की के भी 2-3 पुलों पर आवागमन बंद किया गया है. प्रदेश में करीब 400 से अधिक ऐसे पुल और ब्रिज हैं, जो बी श्रेणी के हैं और इन्हें ए श्रेणी में लाने की दिशा में काम किया जा रहा है. आशय पुलों की भार वहन क्षमता को बढ़ाना है.


उत्तराखंड पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर भी मुरुगेशन का कहना है कि सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके क्षेत्रों में झूला पुल की क्या स्थिति है, इसकी निगरानी करें. झूला पुल के बारे में जिला प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित कराएं.16 अप्रैल 2022 से ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला पुल को आम लोगों के आवागमन के लिए बंद कर दिया गया था.