Uniform Civil Code plea in Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार करने के लिए उत्तराखंड में बने आयोग को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने  आय़ोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका ठुकरा दी है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने समान नागरिक संहिता की संभावना पर विचार के लिए उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार द्वारा गठित आयोग को चुनौती दी गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को ऐसा करने का अधिकार है. उल्लेखनीय है कि यूनिफार्म सिविल कोड का मामला मूल कर्तव्यों में आता है. केंद्र या राज्य सरकारें यूनिफार्म सिविल कोड पर कानून बना सकती हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यूनिफार्म सिविल कोड के जरिये सभी धर्मों के लिए उत्तराधिकार, विवाह, तलाक जैसे मामलों में एक जैसे कानून बनाए जाने की तैयारी है. कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसकी आलोचना की है. उनका कहना है कि यह इस्लामिक पर्सनल लॉ (Personal law) और शरीयत (Sharia Court)  में हस्तक्षेप है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. 


उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने और निजी मामलों पर सभी प्रासंगिक कानूनों की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय (SC) के सेवानिवृत्त  न्यायाधीश की अगुवाई में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. समान नागरिक संहिता एक समान कानून के साथ सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे कानूनों में भी एकरूपता लाती है.


मूल कर्तव्यों के तहत संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लेख है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा.गोवा देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां यूसीसी को लागू किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट स्वयं कई फैसलों में समान नागरिक संहिता को लागू करने के पक्ष में संकेत दे चुका है.


यह भी पढ़ें---


मंडराते खतरे के बीच जोशीमठ जा सकते हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, SC में सुनवाई


UP School Closed: यूपी में कातिलाना ठंड के बीच स्कूलों में सर्दी की छुट्टियां बढ़ीं, इन जिलों ने एक हफ्ते तक घोषित किया शीतकालीन अवकाश