देहरादून. ज़ी मीडिया की ओर से कराए गए देश के अब तक के सबसे बड़े चुनाव सर्वे में एक ओर जहां चुनावी राज्यों में  बनने वाली सरकारों की स्थिति स्पष्ट हो रही है, वहीं दूसरी ओर राज्यों की  जनता में व्याप्त बड़े मुद्दे भी सामने आ रहे हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जो आगामी चुनावों में किसी भी पार्टी की सत्ता गिराने और बनाने का महत्वपूर्ण आधार बन सकते हैं. जब उत्तराखंड की जनता से हमारी टीम इस सर्वे के दौरान रूबरू हुई तो वहां के जमीनी मुद्दे हमें जानने को मिले.


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 गढ़वाल रीजन की 41 सीटों के लोग अपने यहां की समस्याओं और मुद्दों को उजागर करने में खासे मुखर नजर आए. यहां की जनता ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों, सफाई, पलायन जैसे मुद्दों को सर्वे टीम के समक्ष जोरदारी से रखा. इसके अतिरिक्त यहां के लोगों से चर्चा में राज्य के सबसे बड़े मुद्दे भी उभर कर आए. इनमें टिहरी डेम के कारण पुनर्स्थापन, बिगड़ता सामाजिक सौहार्द्र, तीर्थस्थलों पर अव्यवस्था, तपोवन प्रोजेक्ट व ऋषि गंगा हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के कारण आई बाढ़, बेरोजगारी, ग्रामीणों का पलायन, हेल्थकेयर, पीने के पानी की उपलब्धता, भूमि कानून, वन्यजीवन के कारण कृषि का नुकसान, ग्राम सड़क जुड़ाव आदि  प्रमुख है. इन सभी मुद्दों को यहां की जनता चुनाव में बड़ा फैक्टर मानकर चल रही है.


राज्य की राजधानी देहरादून के अंतर्गत आने वाली विधानसभाओं के मुद्दों की, तो वहां देहरादून कैंट के निवासी सड़कों के घटिया निर्माण, बदहाल ट्रैफिक, रोडों पर लगने वाले जाम, बिजली की समस्या और पॉवर कट से खासे परेशान हैं और इन्हें चुनावी मुद्दा मानते हैं. इस जिले की अन्य सीटों चक्राता में आर्थिक-सामाजिक सुधार, विकासनगर में बाजारों में ट्रैफिक व पार्किंग समस्या, सहसपुर में सांप्रदायिक तनाव, राजपुर रोड हेल्थकेयर, डोइवाला में पलायन, धरमपुर में सड़कें, बिजली बिलों की बढ़ी दरें , रायपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं, सेनिटेशन, बेरोजगारी आदि समस्याओं से लोग त्रस्त हैं और इन्हें चुनाव में वोटिंग के लिए  मुद्दा बनाना चाहते हैं.


राज्य के एक अन्य बड़े जिले हरिद्वार की बात करें तो यहां की 11 विधानसभा सीटों पर मतदाता अपने वोटिंंग मुद्दों के प्रति काफी सचेत नजर आता है. यहां हरेक सीट के अनुसार लोग अपने क्षेत्रीय मुद्दे उठाने पर ही जोर देते हैं. मसलन हरिद्वार की सीट के निवासी यहां अच्छे शिक्षण संस्थान खाेले जाने की मांग के साथ ही, निकासी नालियों व सफाई तथा  पेय जल की कमी व मेडिकल फेसिलिटीज की कमियों को सामने रखते हैं, वहीं हरिद्वार ग्रामीण के लोग लक्सर शुगर मिल के कारण उपजे प्रदूषण और गंदगी को मुद्दा मानते हैं. यहां की अन्य सीटों में रानीपुर में पार्किंग समस्या, ड्रेनेज सिस्टम ज्वालापुर में SIDCUL कर्मियों की प्रताड़ना, भगवानपुर में गन्ना किसानों को लेट भुगतान, झबरेड़ा में फैक्टरियों के ड्रेनेज सिस्टम, रुड़की व पिरानकलियर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सड़कों की खस्ता हालत, मंगलौर में मुस्लिम इलाकोंं में विकास की कमी, ख़ानपुर में भ्रष्टाचार, पार्किंग, सार्वजनिक शौचालय और लक्सर सीट पर शिक्षण संस्थानों की कमी जैसे मुद्दे वोट देने और न देने का आधार बन सकते हैं. इसके अलावा उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री, पुरोला, यमुनोत्री,  चमोली गढ़वाल जिले की  कर्णप्रयाग, बद्रीनाथ, थराली वह गढ़वाल रीजन की अन्य सीटों पर भी मतदाताओं ने अपने मुद्दे खुुलकर सामने रखे. 


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