कुलदीप नेगी/देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितता मामले में सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड़ में नजर आ रही है. इसके साथ ही अग्रिम आदेशों तक विश्वविद्यालय के सभी वित्तीय और अहरण वितरण के अधिकार विश्वविद्यालय की बजाए जिलाधिकारी देहरादून को दे दिए गए हैं. इस संबंध में शासन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है. जिसमें साफ लिखा गया है कि आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा. इस संबंध में कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया है. वित्तीय अनियमितताओं के आरोप के चलते ये बड़ी कार्रवाई की गई है.


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वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत का हुआ ऑडिट
आपको बता दें कि शासन द्वारा कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में हो रही वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत, भ्रष्टाचार, शासकीय संपत्ति एवं धन का दुरुपयोग किए जाने, बिना शासन की अनुमति के सृजित पदों से अधिक तैनाती किए जाने, प्रवेश परीक्षाओं में धांधली किए जाने समेत अन्य नियम विरुद्ध किए गए कार्य संबंधी शिकायतों का लेखा परीक्षा विभाग द्वारा ऑडिट कराया गया. 


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जिलाधिकारी देहरादून को मिले ये अधिकार
आपको बता दें कि विश्वविद्यालय के ऑडिट के बाद प्रस्तुत लेखा परीक्षा रिपोर्ट में पाई गई, अनियमितताओं को देखते हुए विश्वविद्यालय में संचालित अविधिक, असंवैधानिक, अवैध व नियम विरुद्ध कार्यों से उत्पन्न असंवैधानिक तंत्र की विफलता एवं विश्वविद्यालय द्वारा शासकीय आदेशों की निरंतर की जा रही, अवहेलना के दृष्टिगत जनहित एवं कार्य हित में विधि का शासन लागू किए जाने हेतु, अग्रिम आदेशों तक के लिए विश्वविद्यालय के समस्त वित्तीय एवं आहरण वितरण अधिकार जिलाधिकारी देहरादून में निहित किए जाते हैं.


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धामी सरकार का आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितता मामले में बड़ा एक्शन
आपको बता दें इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही साफ तौर पर कहा है- "सरकार, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर काम कर रही है. ऐसे में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए सरकार को सख्त से सख्त रुख भी अपनाना पड़ा तो वो भी किया जाएगा. वहीं, प्रदेश सरकार सुशासन की दिशा में सरकार काम कर रही है. ऐसे में राज्य में कतई भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा." शायद यही वजह है कि वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर सरकार ने ये एक्शन लिया है.


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