New District of Uttarakhand: उत्तराखंड में एक बार फिर नए जिलों (New District of Uttarakhand) के गठन को लेकर सियासत तेज हो गई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के बयान के बाद नए जिलों के गठन का रास्ता भी साफ होता नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि प्रदेश में 6 से 7 नए जिले बनाए जा सकते हैं. सरकार ने संकेत दिया है कि नए जिलों के गठन को लेकर प्रदेश की जनता के साथ चर्चा की जाएगी. 


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राज्य गठन के बाद प्रदेश में हैं 13 जिले
आपको बता दें, 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था. उस समय राज्य में 13 जिले अस्तित्व में आए थे. उत्तरकाशी, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, उधम सिंह नगर. आज भी प्रदेश में वही 13 जिलों की स्थिति है. राज्य गठन के बाद में जिले की मांग तेज हो गई थी. 


2011 में 4 नए जिले बनाने की हुई थी घोषणा
2011 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रदेश में 4 नए जिले बनाने की घोषणा की थी. यमुनोत्री उत्तरकाशी से, कोटद्वार पौड़ी से, डीडीहाट पिथौरागढ़ से, रानीखेत अल्मोड़ा से नए जिले बनने थे. दिसंबर 2011 में नए जिलों के गठन का जीओ जारी किया गया. लेकिन विधानसभा चुनाव होने के बाद जिले अस्तित्व में नहीं आ पाए और भाजपा की सरकार भी दोबारा सत्ता में नहीं आई. कांग्रेस सरकार आने के बाद नए जिलों के गठन का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. 


ये बन सकते हैं नये जिले
2017 में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनी. मगर उस दौरान नए जिलों में कोई प्रगति नहीं हुई. नए जिलों के गठन के लिए पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट की बात जरूर सामने आई मगर उस पर कुछ नहीं हो पाया. सरकार ने जिस तरह से संकेत दिए हैं, ऐसे में 6 से 7 नए जिले बनाए जा सकते हैं. अब उन जिलों का नाम अलग हो सकता है. उसमें यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत, डीडीहाट, काशीपुर, रामनगर, रुड़की नए जिले बनाए जा सकते हैं. 


फिलहाल नए जिलों के गठन में अभी वक्त लग सकता है. पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा. साथ ही आम लोगों से सुझाव लिए जाएंगे और ऐसे में नए जिलों का गठन किया जा सकता है. आर्थिक नजरिए से अगर देखें तो 1 जिले के गठन में तकरीबन तीन से चार सौ करोड़ रुपये की जरूरत पड़ती है. ऐसे में उत्तराखंड जैसे आर्थिक कमजोर वाले राज्य के लिए एक साथ चार से पांच जिलों का गठन करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. जिस तरह से नए जिलों के गठन की बात सामने आ रही है, देखना होगा कि सरकार नए जिलों के गठन की घोषणा कब तक करती है.


बीजेपी नेताओं ने बताया अच्छी पहल
भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि नए जिलों के गठन से प्रशासनिक कामकाज में तेजी आती है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह से नए जिलों के गठन की बात कही है, यह बहुत ही अच्छी पहल होगी. वहीं, परिवहन मंत्री चंद्र रामदास का कहना है कि सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में भी सोचना चाहिए. अगर वित्तीय स्थिति बेहतर होगी तो नए जिलों का गठन हो सकेगा. क्योंकि नए जिलों के गठन में भारी-भरकम धनराशि की जरूरत पड़ती है. ऐसे में प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना होगा.


हरीश रावत ने साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नए जिलों को लेकर सरकार पर हमला बोला है. उनका कहना है कि पेपर लीक मामले से ध्यान हटाने के लिए इस तरह की बात तो नहीं हो रही हैं. उनका कहना है कि नए राज्यों का गठन प्रदेश के हित में होगा या नहीं यह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अच्छी तरह से जानते हैं. क्योंकि नए जिलों के गठन के लिए धनराशि की जरूरत पड़ती है. फिलहाल देखना होगा कि प्रदेश सरकार नए जिलों के गठन के लिए गठन के लिए क्या कदम उठाती है, मगर नए जिलों के गठन से पहले प्रदेश में एक बार सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है.