Uttarakhand Tourism: उत्तराखंड एक छोटा सा हिमालयी राज्य है जो 9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया था. उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वभर में जाना जाता है. यही वजह है कि भारत के आलावा, विदेशों से भी पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं. अगर आप भी उत्तराखंड की खूबसूरती को करीब से देखना चाहते हैं, तो आज हम आपको वो प्रमुख पर्यटक स्थल बताने जा रहे हैं, जहां जाकर आप प्रकृति की खूबसूरती को और भी करीब से देख सकते हैं. आइए जानते हैं उत्तराखंड के बारे में...


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उत्तराखंड में तीन मंडल हैं-
1. कुमाऊं मंडल 
2. गढ़वाल मंडल 
3. गैरसैंण  मंडल 


अब आपको बताते हैं यहां के प्रमख पर्यटक स्थल-
1. नैनीताल
नैनीताल को सरोवर नगरी या झीलों की नगरी भी कहा जाता है. नैनीताल की खोज 1841 में पी बैरन ने की थी. कहा जाता है कि राजा दक्ष की पुत्री देवी सती की बाईं आंख यहां पर गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर ब्रह्माण्ड का भ्रमण कर रहे थे. इस कारण यहां पर आंख के आकार की झील बन गई, जिसे नैनी झील के नाम से जाना जाता है. इस झील की गहराई इतनी है कि कोई भी शख्स इसे आज तक नाप नहीं पाया. गर्मियों में मौसम का मजा लेना हो या सर्दियों में स्नोफॉल देखनी हो, नैनीताल आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है.


2. पूर्णागिरी मंदिर
चम्पावत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित एक जिला है. 52 शक्तीपीठों में से एक मां पूर्णागिरी धाम की मान्यता अपने आप में खास है. समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर उत्तराखंड के टनकपुर से लगभग 17 किमी दूरी पर ये मंदिर स्थित है. माना जाता है कि इसी स्थान पर सती माता की नाभि गिरी थी. पूर्णागिरी मंदिर अपने चमत्कारों के लिए भी खासा तौर पर जाना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक, 1632 में गुजरात के एक व्यापारी चंद्र तिवारी ने चंपावत के राजा ज्ञानचंद के साथ शरण ली थी. उनके सपनों में मां पुण्यगिरि दिखाई दी थीं. सपने में मां ने उन्हें एक मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा था. तब से आज तक मंदिर में जोरों-शोरों के साथ पूजा पाठ की जाती है और भक्तों की भी काफी संख्या में भीड़ यहां देखने को मिलती है. नवरात्र के मौके पर यहां मेला भी लगता है. इसलिए आप जब भी उत्तराखंड घूमने के लिए जाएं, यहां के दर्शन करना न भूलें. 


3. नानकमत्ता गुरुद्वारा
देश-विदेश में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थान हैं, जिनका संबंध किसी ना किसी रूप में धार्मिक मान्यताओं से हैं. ऐसी ही एक ऐतिहासिक जगह है नानकमत्ता, जिसके बारे में माना जाता है साल 1515 में जब सिखों के प्रथम गुरु ने कैलाश पर्वत की यात्रा की थी, तब उन्होंने इस स्थान का भी भ्रमण किया था. नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे का निर्माण गुरुद्वारे सरयू नदी पर किया गया है. यह नानक सागर डैम के नजदीक मौजूद है, इसलिए इसे नानक सागर गुरुद्वारा भी कहा जाता है. यूं तो इस गुरुद्वारे में विभिन्न धर्म के लोग श्रद्धापूर्वक आते हैं, लेकिन सिखों के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है. नदी किनारे स्थित होने के कारण यहां पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं. वे यहां फिशिंग और बोटिंग का आनंद लेते हैं. कहा जाता है इस स्थान पर एक पीपल का सूखा वृक्ष हुआ करता था. जब गुरु नानक देव जी यहां थे, तब उन्होंने इसी पीपल के वृक्ष के नीचे अपना आसन रखा था. कहा जाता है गुरु नानक जी के पवित्र चरण पड़ते ही यह पीपल का वृक्ष पुन: हरा-भरा हो गया था.


4. चंडी देवी/मंसा देवी मंदिर
उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित जिला है हरिद्वार. धर्मनगरी हरिद्वार को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. मां गंगा की गोद में बसा यह शहर अपने धार्मिक आयोजनों और मंदिरों के लिए जाना जाता है. यहां पर चंडी देवी मंदिर शिवालिक की पहाड़ियों के नील पर्वत पर विराजमान है. पर्वत पर विराजमान चंडी देवी मंदिर हिन्दू धर्म के 52 शक्तिपीठों में से एक है और बड़ा ही प्राचीन है. यही वजह है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है. दूर-दूर से श्रद्धालु मां चंडी देवी के मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. इसके आलावा, यह मंदिर पहाड़ पर और जंगलों के बीच स्थित है. इस वजह से लोग यहां के वातावरण का आनंद उठाने भी इस जगह पर आते हैं. वहीं, मनसा देवी के मंदिर का इतिहास बहुत ही गौरवशाली माना जाता है. यह प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार से 3 किमी दूर शिवालिक पर्वत श्रृंखला में बिलवा पहाड़ पर स्थित है. नवरात्र के महीने में यहां पर भक्‍तों की भारी भीड़ रहती है. मान्‍यता है कि यहां भक्‍त जो मुराद लेकर आते हैं, उनकी वह मनोकामना देवी मां पूर्ण जरूर करती हैं.


5. चार धाम दर्शन
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. चारों धाम यहीं पर स्थित हैं. ब्रदीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, जिनके दर्शनों के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं.


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