Uniform Civil Code पर आम जनता की राय लेने के लिए शुरू हुआ पोर्टल, जानें कहां तक पहुंचा प्लान
Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए बनाई गई कमेटी ने कहा कि मसौदा तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है. इसके लिए समय निर्धारित नहीं किया जा सकता... पढ़ें खबर-
Uttarakhand Uniform Civil Code: सुप्रीम कोर्ट की फॉर्मर जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित स्पेशल कमेटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता कानून का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड की जनता की राय लेने का प्लान किया है. इसके लिए एक पोर्टल शुरू किया गया है.
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जनता से इन मुद्दों पर ली जा रही है राय
इस पोर्टल को शुरू करने के बाद देसाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए सबका सहयोग चाहिए होगा. कमेटी चाहती है कि लोग पोर्टल पर आकर अपने विचार, सुझाव और आपत्तियां पेश करें. इससे समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने में मदद होगी. देसाई ने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का है उद्देश्य शादी, तलाक, संपत्ति का अधिकार जैसे मुद्दों पर जनता की राय और सुझाव लेना. ताकि, कमेटी अपना काम अच्छे से कर पाए.
मसौदा तैयार करने में लग सकता है समय
(अवकाश प्राप्त) जस्टिस देसाई ने कहा कि कमेटी का काम बहुत तेजी से हो रहा है, लेकिन ड्राफ्ट तैयार करने के लिए टाइम लिमिट निर्धारित करना कोई आसान काम नहीं है. इसके लिए एक या दो महीने निर्धारित नहीं किए जा सकते. सभी हितधारकों से बात करने और उनके विचार जानने समझने और फिर उसके हिसाब से मसौदा तैयार करने में समय लग सकता है. हालांकि, कमेटी का इरादा जल्द से जल्द मसौदा तैयार करना ही है. इसके लिए कई बैठकें भी हुई हैं और कई सब-कमेटी भी तैयार की गई हैं.
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जनता करेगी इन बातों का अध्ययन
कमेटी मेंबर और उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि जनता को काम दिया गया है कि शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गुजारा भत्ता जैसे पर्सनल मुद्दों से संबंधित मौजूदा कानून को समझें और इसकी संभावनाएं तलाशें. उनमें क्या संशोधन किए जा सकते हैं या क्या नए कानून बनाए जा सकते हैं या फिर उन्हें एक छत्र के नीचे लाकर कैसे एकरूपता लाई जा सकती है?
सीएम धामी ने किया था यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का वादा
आपको बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम पुष्कर धामी ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था. मार्च में राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही इसके लिए समिति गठित करने के प्रस्ताव पास हो गया था और फिर 27 मार्च को कमेटी का गठन हुआ. अब तक इस समिति की 5 बैठकें हो चुकी हैं.
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